टीआरपी डेस्क। केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद ग्रामीण विकास के लिए बड़े जोर-शोर से “सांसद आदर्श ग्राम योजना” की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य मॉडल गांव विकसित करना था। हालांकि 6 साल बीत जाने के बाद भी यह योजना असफल साबित हुई है। दरअसल सांसदों द्वारा चुनी गई ग्राम पंचायतों में कोई खास विकास कार्य नहीं हुए हैं।

सेंट्रल परफॉर्मेंस ऑडिट ने ग्रामीण विकास मंत्रालय से इस योजना की समीक्षा करने की अपील की हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कॉमन रिव्यू मिशन 2019 के तहत ग्रामीण योजनाओं की समीक्षा करने का निर्देश दिया गया था। जिसके बाद ऑडिट टीम ने देश के विभिन्न राज्यों में जाकर सांसद आदर्श ग्राम में हुए विकास कार्यों का जायजा लिया। जांच में पता चला है कि इन सांसद आदर्श ग्राम पंचायत में कोई खास विकास कार्य नहीं हुए हैं। सांसदों ने इस योजना के लिए अपनी सांसद निधि से ज्यादा रकम नहीं दी। कुछ जगहों पर सांसदों ने काम कराया है लेकिन वह भी इस योजना को प्रभावी बनाने में नाकाम रहा है।

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