12 बी की मान्यता
छत्तीसगढ़ की इस यूनिवर्सिटी को मिल सकती है 12 बी की मान्यता, जानिए क्यों है यह जरूरी?

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में बिलासपुर की अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी को स्थापना के बाद से अब तक केंद्रीय अनुदान का लाभ नहीं मिल पा रहा है। यूनिवर्सिटी को अब तक 12 बी की मान्यता भी नहीं मिल सकी है, जिसके कारण यूनिवर्सिटी को अब तक केंद्रीय योजनाओं का लाभ, केंद्र सरकार की तरफ से बड़े प्रोजेक्ट और अनुदान नहीं मिल रहा है। लेकिन अब यूनिवर्सिटी ने 12 बी की मान्यता के लिए कवायद तेज कर दी है और यूजीसी की टीम को निरीक्षण के लिए आमंत्रित किया गया है।

वहीं, यूजीसी की 4 सदस्यीय टीम ने निरीक्षण शुरू भी कर दिया है। इधर, यूनिवर्सिटी के कुलपति ने कहा है कि पूरी संभावना है कि निरीक्षण के बाद यूनिवर्सिटी को 12 बी की मान्यता मिल जाए।

जानिए कब हुई थी स्थापना

दरअसल, अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी की स्थापना साल 2012 में हुई थी। स्थापना के 9 साल बाद भी यूनिवर्सिटी को यूजीसी से 12 बी की मान्यता नहीं मिली है। 12 बी यूनिवर्सिटी के लिए एक तरह का स्टेटस होता है, जिसे यूजीसी के एक्ट 1956 की धारा 12 बी के तहत यूनिवर्सिटी को प्रदान किया जाता है।

यूनिवर्सिटी ने 12 बी की मान्यता पाने के लिए प्रयास किया है और इंफ्रास्ट्रक्चर, रिसर्च डेवलपमेंट जैसे प्रमुख मापदंडों पर फोकस करते हुए यूजीसी की टीम को निरीक्षण के लिए आमंत्रित किया गया है। जिससे निरीक्षण में टीम तमाम मापदंडों पर संतुष्ट हो और यूनिवर्सिटी को 12 बी की मान्यता मिल सके।

सीधा लाभ छात्र छात्राओं को उच्च शिक्षा में मिलेगा

यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो.अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी की माने तो 12 बी की मान्यता के लिए यूजीसी की 4 सदस्यीय टीम ने निरीक्षण शुरू कर दिया है। पूरी संभावना है कि निरीक्षण के बाद यूनिवर्सिटी को 12 बी की मान्यता मिल जाए। 12 बी की मान्यता होने यूनिवर्सिटी के लिए केंद्रीय वित्तीय अनुदान का रास्ता साफ हो जाएगा और शोध परियोजना, केंद्रीय प्रोजेक्ट व केंद्रीय अनुदान यूनिवर्सिटी को मिल सकेंगे। जिसका सीधा लाभ छात्र छात्राओं को उच्च शिक्षा में मिलेगा।

क्या है 12 बी की मान्यता?

यूजीसी एक्ट 1956 की धारा 2एफ के अंतर्गत देशभर के किसी भी कॉलेज को मान्यता दी जाती है और उसका रजिस्ट्रेशन होता है। वहीं, धारा 12बी में रजिस्टर्ड कॉलेज को केंद्रीय अनुदान की पात्रता हो जाती है। यानी, वह यूजीसी या किसी भी केंद्रीय विभाग से ग्रांट के लिए पात्र हो जाता है। इसके लिए कॉलेजों को तय संख्या में फैकल्टी की नियुक्ति करनी होती है। इसके साथ ही छात्रों की संख्या के मुताबिक पर्याप्त क्लास रूम भी तैयार करने होते हैं।

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