इटावा। यूपी यूनिवर्सिटी आफ मेडिकल साइंसेज(UP University of Medical Sciences) सैफई में सामने आया, जहां जूनियर डॉक्टर्स (Junior doctors) ने ही सिर की सफाई कर डाली? क्यों पड़ गए न चक्कर में….. अरे भइया हम भौकाल नहीं मार रहे। सही बात कर रहे हैं कसम से….विश्वास न हो तो ये फोटो (photo) खुदइ देख लो! क्या हुआ विश्वास हुआ न? अब बताओ कि सैफई के जूनियर डॉक्टर्स (Junior doctors) के सिर की सफाई भला किसने कर डाली? सवाल हम भी वही उठा रहे हैं कि आखिर जूडॉ  (Junior doctors) का सिर किसने मूंड़ा?

बात जरा….सीक्रेट है…मामला रैगिंग (ragging) का है। अरे कहीं ऊ सीनियर लोगों को पता चल जाएगा न तो हमारा भी सिर मुंडवाकर उसमें बेल बांध देंगे। इसी लिए इत्ते धीरे से बोल रहे हैं। सरकार जितना इसको रोकने की कोशिश कर रही है ये उत्तइ बढ़ता जा रहा है। नहीं मानते तो ई आंकड़े खुदइ देख लो यकीन हो जाएगा।
क्या कहते हैं आंकड़े:
एक एनजीओ की हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि 2016 की तुलना में पिछले दो वर्षों में देश में मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग की घटनाओं में 80 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। 2016 में ऐसे मामलों की कुल संख्या 86 थी, 2017 में यह संख्या 171 हो गई और 2018 में 163। भारत के कुल 460 मेडिकल कॉलेजों में से लगभग 270 केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे हैं। इनमें से अधिकांश मामले सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हुए।
क्या कहता है कानून:
देश के कई राज्यों नं रैगिंग के लिए विशेष रूप से कानून बनाए हैं। भारतीय दंड संहिता (IPC) के विभिन्न अनुभाग 339, 340, 341, 342, 343, 344, 344, 345, 346, 347, 348 जैसे रैगिंग के मामलों पर लागू होते हैं। 349, 350, 351 भी।
अब जरा सुनिए क्या कहते हैं वीसी:
अब वाइस चांसलर कहते हैं, “अगर कोई अनुशासनहीनता हुई है, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। छात्र कम से कम अपने वार्डन से संपर्क कर सकते हैं। मैं नजर रखूंगा।”

इसका मतलब पहले नजर नहीं रख रहे थे? इनकी जिम्मेदारी को किसी की नजर न लगे। तभी तो बेचारे जूडॉ का सिर मूंड़ा गया?

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