हृदय की ओर जाने वाली नस बहुत जगह से थी मुड़ी हुई, डिवाइस थेरेपी के जरिए 13 वर्षीय बच्ची को मिली नई जिंदगी
हृदय की ओर जाने वाली नस बहुत जगह से थी मुड़ी हुई, डिवाइस थेरेपी के जरिए 13 वर्षीय बच्ची को मिली नई जिंदगी

रायपुर। हृदय रोग के लिए लगी जांच शिविर में एक ऐसी बच्ची मिली जिसकी रीढ़ की हड्डी मुड़ी हुई थी, इसके चलते बच्ची को सांस लेने में तकलीफ़ थी। और बच्ची काफी कमजोर भी थी। अंदरुनी जांच से पता चला कि बच्ची के हृदय में गंभीर विकृति थी।

इसकी जानकारी देते हुए रायपुर स्थित एन.एच.एम.एम.आई. अस्पताल की बाल रोग हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ किंजल बक्शी ने बताया कि इको कार्डियोग्राम के जरिए जो विकृति सामने आई उसके मुताबिक हृदय की ओर जाने वाली नस बहुत जगह से मुड़ी हुई थी। जिसकी वजह से रक्त को हृदय तक पहुंचाने में दिक्कतें आ रही हैं। वहीं बच्ची का हृदय भी घूमा हुआ था। इसके इलाज के लिए पैर की नस के जरिए ट्यूब को अंदर भेजना जोखिम भरा था। जिसके चलते सरेरिंग तकनीक के जरिए पी डी ए के विपरीत हिस्से से एक रास्ता तैयार किया गया।

गर्दन की नस के जरिए पहुंचे हृदय तक

एन.एच.एम.एम.आई. अस्पताल के चिकित्सकों ने इस बच्ची के इलाज के लिए काफी मशक्कत की, और फिर पैर की बजाय गर्दन की एक नस के जरिए रास्ता तैयार किया गया, फिर डिवाइस थेरेपी के जरिए ट्यूब को हृदय तक भेजा गया। एनस्थीसिया की टीम के साथ मिलकर बाल हृदय रोग की टीम ने बिना किसी जटिलता के पूरे प्रोसिजर को सफलता पूर्वक संपन्न किया गया। डॉक्टरों के मुताबिक बच्ची का इस तरह से इलाज पूरे छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में पहली बार किया गया।

बच्ची का मुफ्त किया गया इलाज

इस पत्रकार वार्ता में मौजूद एन एच एम एम आई अस्पताल के सीईओ ने बताया कि उड़ीसा सरकार द्वारा हृदय रोगी बच्चों का इलाज किया जाता है, इसी के तहत जांच शिविर में पहुंची निर्धन परिवार की बच्ची का इलाज किया गया, जिसका सारा खर्च उड़ीसा की सरकार ने उठाया। इस तरह की योजना छत्तीसगढ़ में भी चल रही थी, लेकिन इसे वर्तमान सरकार ने बन्द कर दिया है, जिसके चलते हृदय रोगी बच्चों का यहां इलाज नहीं हो पा रहा है।

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