नहीं रहे वृक्षमित्र ओपी अग्रवाल, करीब 50 एकड़ निजी जमीन पर देश का पहला शहरी जंगल किया था स्थापित

टीआरपी डेस्क। छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में सामाजिक वानिकी के जनक वृक्ष मित्र ओपी अग्रवाल का सोमवार की देर रात राजधानी रायपुर के एमएमआई अस्पताल में निधन हो गया। पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन, उन्नत कृषि के अलावा खेती को लाभकारी बनाने नया प्रयोग करने के साथ सहकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले वृक्षमित्र ओपी अग्रवाल के असामयिक निधन पर समाज के सभी वर्गों ने श्रद्धांजलि अर्पित की है।

संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय सरगुजा अंबिकापुर के कार्य परिषद के सदस्य वृक्षमित्र ओपी अग्रवाल युवक कांग्रेस सरगुजा के प्रथम अध्यक्ष, लंबे समय तक कांग्रेस के जिला महामंत्री, वरिष्ठ उपाध्यक्ष का दायित्व निभा चुके है।ग्रामीण बैंक निदेशक मंडल के सदस्य के रूप में भी उनका कार्यकाल उत्कृष्ट रहा है।भारत कृषक समाज के माध्यम से उन्होंने कृषकों को आगे बढाने योगदान दिया।

पिछले कुछ वर्षों से सक्रिय राजनीति से दूर रहकर उन्होंने पिछले चार दशक से पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य किया। उनके केंद्र में आज की युवा पीढ़ी अध्ययन कर रही है। एमएससी फार्म फारेस्ट्री के विद्यार्थियों की यह प्रयोगशाला है। सिर्फ डेढ़ वर्ष में संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय परिसर भकुरा (अंबिकापुर) में डेढ़ लाख पौधों का रोपण और उसकी सुरक्षा कर ओपी अग्रवाल ने यह दिखा दिया था कि उम्र का पड़ाव कुछ भी हो लेकिन वानिकी के क्षेत्र में उनका काम थमने वाला नहीं है लेकिन अचानक हृदयाघात से उनका निधन हो गया।

अंबिकापुर नगर निगम क्षेत्र में लगभग 50 एकड़ निजी जमीन पर देश का पहला शहरी जंगल स्थापित करने का श्रेय इन्हें जाता है। तेजी से विकसित हो रहे अंबिकापुर शहर के वन वाटिका और उससे लगे बांस बाड़ी क्षेत्र को संरक्षित करने का काम भी इन्हीं के प्रयासों से संभव हो सका है।

किंवाच की खेती को बढ़ावा देने के साथ उन्होंने कई क्विंटल बीज का वितरण किया था। सर्वाधिक प्रोटीन वाले किंवाच का उपयोग जनजातीय समाज सब्जी तथा इसके बीज को दाल के रूप में करता है। व्यावसायिक स्तर पर कंपनियां इसे ऊंचे दर पर खरीदती हैं यही कारण था कि वे पोषण और आदिवासियों की आर्थिक उन्नति के लिए किंवाच की खेती को बढ़ावा देने में लगे थे। इन्हें वर्ष 1992 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव ने वृक्षमित्र की उपाधि दी थी।अर्थ नेचर टीम से भी वे वर्षो तक जुड़े रहे।

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