जब पूर्ण शराबबंदी पर अशासकीय संकल्प पर अरबी और हल्बी में उलझे विधायक, त​ब महंत बन बैठे शायर- ग़ालिब शराब पीने दे मस्जिद में बैठकर या मुझे कोई ऐसी जगह बता जहां ख़ुदा ना हो…

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानूसत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को 1 जनवरी 2022 से पूर्ण शराबबंदी पर भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा के अशासकीय संकल्प पर जोरदार बहस हुई। इस पहले कि सदन में यह मुद्दा गरमाता विधानसभा अध्यक्ष ने शायराना अंदाज में माहौल को हल्का फुल्का कर दिया। चर्चा के दौरान सत्ता और विपक्ष में जोरदार बहस हुई।

चर्चा में शिवरतन शर्मा ने कहा कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने गंगा जल हाथों में लेकर शपथ लिया था कि राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू होगी।​ जिस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि शिवरतन शर्मा ने अपनी बात ग़लत कथन के साथ रख रहे हैं, इन्हें ट्रेनिंग ही यही मिली है कि किसी झूठ को सौ बार बोला जाये तो वह सच लगे। ये लोग गिरीश देवांगन के लेटरपैड पर फर्जी दस्तखत कर पत्र वायरल कराया था, जिसके चलते 25 सौ रुपए धान का समर्थन मूल्य देंगे उसके लिए हमारे नेताओं ने गंगाजल की कसम खायी थी।

भड़के आबकारी मंत्री कवासी लखमा

चर्चा को आगे बढ़ाते हुए शिवरतन शर्मा ने कहा कि अरबी में शराब का अर्थ है ख़राब पानी, विधायक शिवरतन शर्मा के इस ​कथन को आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने अरबी को हल्बी समझ लिया और कहा कि ग़लत अर्थ बता रहे हैं. ऐसा नहीं है। हल्बी में ऐसा नहीं कहते हैं. मैं वहीं से आता हूँ. हल्बी में ऐसा कोई शब्द नहीं है और ऐसा कोई अर्थ नहीं है. यह अपमान है।

जमकर हुई गहमागहमी, आसंदी को करना पड़ा हस्तक्षेप

सदन में इसे लेकर गहमागहमी हुई, बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि शिवरतन शर्मा ने अरबी का अर्थ कहा है, हल्बी का नहीं लेकिन, मंत्री कवासी को फिर हल्बी सुनाई दे गया। जिस पर स्पीकर डॉक्टर चरणदास महंत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ग़ालिब शराब पीने दे मस्जिद में बैठकर या मुझे कोई ऐसी जगह बता जहां ख़ुदा ना हो…इस पर क्या कहेंगे आप?

जिस पर शिवरतन शर्मा ने कहा कि नशे की वजह से राज्य में अपराध बढ़ा है। कांग्रेस ने जब घोषणा पत्र में पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था तब ख़ासकर महिलाओं ने सोचा था कि अब कलह दूर होगी, झगड़े ख़त्म होंगे, आर्थिक कमजोरी दूर होगी। इससे पहले कई राज्यों में दलों ने चुनावी घोषणा पत्र में पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था, जनता का समर्थन मिला और सरकार बनते ही वादा पूरा किया।

भाजपा विधायक ने कहा कि छत्तीसगढ़ में ढाई साल बीत जाने के बाद भी वादा पूरा किया गया, छत्तीसगढ़ में 898 हत्या के प्रयास हुए हैं, 10 हजार से ज़्यादा आत्महत्या हुई है। हर अपराध की पृष्ठभूमि में नशा है। पूरे प्रदेश में सरकारी संरक्षण में अवैध शराब की सप्लाई की जा रही है।

विधायक ने कहा, सरकार का लक्ष्य साल में 5200 करोड़ रुपए अर्जित करना है. मेरा आरोप है कि सरकार के वैध-अवैध कमाई का सबसे बड़ा ज़रिया शराब है। मंत्री अमरजीत भगत से जब शराब को लेकर पत्रकार सवाल पूछते हैं तो इन्हें सुनाई नहीं देता, आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ उड़ता छत्तीसगढ़ बन जाएगा।

मंत्री मो. अकबर ने भाजपा को याद दिलाया उनका चुनावी वादा

चर्चा के दौरान मंत्री मो. अकबर ने कहा कि शिवरतन शर्मा ने घोषणा पत्र से बातचीत शुरू की थी, ज़रा अपना घोषणा पत्र भी देख लेते। हर आदिवासी परिवार को गाय और एक नौकरी देने का वादा किया था, पांच हार्स पावर पंप फ़्री, बेरोज़गार युवाओं को भत्ता देंगे।

दिल्ली की सरकार बनी तब कहा गया कि विदेशों से काला धन लाएंगे, 15 लाख सभी खातों में भेजे जाएँगे, कम से कम घोषणा पत्र की बात ना करें। शराब को ख़राब पानी कह दिया, छत्तीसगढ़ में आदिवासी बड़ी तादात में हैं। आदिवासी इलाक़ों में राज्यपाल की प्रदत्त शक्तियों के तहत शराब की अनुमति दी गई है, और सदन में इसे ख़राब पानी कहा जा रहा है, सदन में आपको माफ़ी मांगना चाहिए।

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि मंत्री को सदन में वर्ग विभेद की बात नहीं करनी चाहिए, इस सदन में हर वर्ग से विधायक हैं। मो. अकबर ने शराबबंदी को लेकर बनाई गई समितियों का ज़िक्र किया। इस पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि शराबबंदी को लेकर बनाई गई कमेटी की बैठक तक नहीं हुई।

इस पर अकबर ने कहा कि राजनीतिक समिति 19 अगस्त 2019 को बैठक हुई थी, प्रशासनिक समिति की बैठक भी हुई थी। राजनीतिक समिति के लिए बीजेपी, जेसीसी और बीएसपी दलों से नाम माँगे गये थे, लेकिन नहीं दिए गए। पिछली सरकार के आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल ने कहा था कि पूर्ण शराबबंदी कहीं भी सफल नहीं है।

मो. अकबर ने कहा कि मणिपुर, केरल, तमिलनाडु में पूर्ण शराबबंदी लागू की गई थी लेकिन, सफल नहीं हुआ। कोरोना के वक़्त सेनिटाइज़र और स्पिरिट पीकर कई लोगों की मौत हो गई थी, राज्य सरकार ने तीन समितियाँ गठित की है। पूर्ण शराबबंदी के लिए अध्ययन किया जा रहा है।

चर्चा के दौरान विपक्ष ने मतविभाजन की मांग उठा दी। मत विभाजन में अशासकीय संकल्प के पक्ष में जहां 13 वोट पड़े, वहीं विपक्ष में 58 वोट पड़े। इसके साथ ही अशासकीय संकल्प अस्वीकृत होने की घोषणा की गई।

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