न्यूयॉर्क। अमेरिका के बार-बार आपत्ति जताने के बावजूद भी तुर्की ने रूस में बनी एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने का निर्णय ले लिया। इसके बाद ही अमेरिका ने तुर्की को एफ-35 लड़ाकू विमानों के सहायक उपकरणों की आपूर्ति पर रोक लगा दी है। लेफ्टिनेंट कर्नल माइक एंर्ड्यूज ने सोमवार को सीएनएन से एक बयान में कहा कि तुर्की के एस-400 की आपूर्ति रोकने के निर्णय को लंबित करने के कारण तुर्की की एफ-35 के संचालन से संबंधित आपूर्तियों और गतिविधियों को भी रोक दिया गया है। इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर तुर्की से हमारी बातचीत आभी जारी है। उन्होंने कहा कि हमारी एफ-35 साझेदारी को लेकर मौजूदा परिस्थिति का हमें बहुत दुख है, लेकिन रक्षा विभाग हमारी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी में साझा निवेश को बचाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।
यह घोषणा नाटो की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर तुर्की के विदेश मंत्री के एक मंत्रिमंडल बैठक के लिए वॉशिंगटन रवाना होने के दौरान हुई। एंर्ड्यू ने कहा, अमेरिका तुर्की को उसके एस-400 खरीद के गलत परिणामों के बारे में लगातार चेतावनी देता रहा है। उन्होंने कहा, हम हालांकि स्पष्ट हैं कि एस-400 का अधिग्रहण एफ-35 के अनुकूल नहीं है और एफ-35 कार्यक्रम में तुर्की के शामिल होने पर खतरा मंडरा सकता हैं।

एफ-35 लड़ाकू विमान की खासियतें:

अमेरिका में बना ये लड़ाकू विमान एफ-35 बहुत ही तेज गति का विमान हैं। इस लड़ाकू विमान को नई तकनीक से बनाया गया है। इस विमान में रडार की पकड़ से बच निकलने की क्षमता है।
रडार में न दिखने की वजह से ये दुश्मन के विमानों को बहुत ही कम वक्त में गिरा सकता है। इसमें खास सेन्सर लगे हुए हैं, जिसके कारण डेटा जल्द ही सैन्य कमांडरों के साथ साझा किया जा सकता है। साथ ही ये विमान रडार को जैम करने की क्षमता भी रखता है। एफ-35 विमान के तीन प्रकार हैं- पहला एफ-35ए- जो आम विमानों की तरह टेकआॅफ करता है, दूसरा एफ-35बी जो सीधे हेलीकॉप्टर की तरह लैंड कर सकता है यानी ये विमान वर्टिकल लैंडिंग की क्षमता रखता है और तीसरा एफ-35सी जो एयरक्राफ्ट कैरियर यानी युद्धपोतों से उड़ान भर सकता है।

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