नई दिल्ली। पिछले 8 वर्षों में देश ने रिटायर्ड लोगों की पेंशन पर 5 सौ करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इनमें पूर्व सांसदों, बड़े बिजनेसमैन, अखबार के मालिक, पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व चुनाव आयुक्त, पूर्व मुख्यमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के बड़े वकील, फिल्मकार, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद् और भ्रष्टाचार के आरोपियों तक के नाम शामिल हैं। साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पूर्व सांसदों के लिए पेंशन व्यवस्था खत्म करने की मांग की गई थी। सोमवार को ये जानकारी वित्त मंत्रालय के अधीन संस्था केंद्रीय पेंशन लेखा कार्यालय (सीपीएओ) ने दी। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि एक अप्रैल 2010 से लेकर 31 मार्च 2018 तक पूर्व सांसदों को 489.19 करोड़ रुपए की पेंशन दिया जा चुकी है। इस हिसाब से औसतन हर साल 61 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि पूर्व सांसदों के पेंशन पर खर्च की जाती है।

किसको दी कितनी रकम:

सीपीएओ से मिली जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा 75.37 करोड़ रुपए का पेंशन साल 2011-12 में पूर्व सांसदों को दी गई। इसके बाद 2014-15 में 62.39 करोड़ रुपए, 2015-16 में 65.07 करोड़ रुपए 2016-17 में 53.56 करोड़ रुपए और 2017-18 में 55.43 करोड़ की राशि पूर्व सांसदों को पेंशन के रूप में दी गई है।
संसद के सदस्यों का वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम, 1954 के तहत पूर्व सांसदों को पेशन देने का प्रावधान है और एक अप्रैल 2018 से पूर्व सांसदों को हर महीने 25,000 रुपए की पेंशन राशि दी जाती है। इससे पहले ये राशि 20,000 रुपए प्रति माह थी।

कितने नेताओं को मिल रही पेंशन:

इस समय 2,064 पूर्व सांसदों को पेंशन दी जा रही है। इसमें से 1,515 पूर्व लोकसभा सांसद हैं और 549 पूर्व राज्यसभा सांसद हैं। इससे पहले साल 2017 में 1,670 पूर्व लोकसभा सांसद और 615 पूर्व राज्यसभा सांसदों को पेंशन दी गई थी।
इसी तरह साल 2016 में 1,795 पूर्व लोकसभा सांसद और 619 पूर्व राज्यसभा सांसदों को पेंशन दी गई। इससे पहले साल 2015 में 1852 पूर्व लोकसभा सांसद और 621 पूर्व राज्यसभा सांसद तथा साल 2014 में 1751 पूर्व लोकसभा सांसद और 604 पूर्व राज्यसभा सांसदों को पेंशन दी गई थी। साल 2013 में 466 पूर्व लोकसभा सांसद और 190 पूर्व राज्यसभा सांसदों को पेंशन दी गई थी।

कब पेंशन में दी गई कितनी रकम:

साल 2017-18 के दौरान हर एक पूर्व सांसद को औसतन 2.68 लाख रुपए की पेंशन दी गई।

इसी तरह 2016-17 के दौरान 2.21 लाख रुपए 2015-16 के दौरान 2.63 लाख रुपए 2014-15 के दौरान 2.64 और 2013-14 के दौरान 9.09 लाख रुपए की औसत राशि हर एक सांसद को पेंशन के रूप में दी गई है।

समानता के अधिकार का उल्लंघन: याचिकाकर्ता

बता दें कि कोर्ट में याचिका दायर कर पूर्व सांसदों के लिए पेंशन व्यवस्था खत्म करने की मांग की गई थी। साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट में लोक प्रहरी नामक एनजीओ ने इलाहाबाह हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध अपील दायर कर पूर्व सांसदों को मिलने वाली पेंशन और अन्य सुविधाओं को रद्द करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि सांसद के पद से हटने के बाद भी जनता के पैसे से पेंशन लेना संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) और अनुच्छेद 106 का उल्लंघन है। संसद को ये अधिकार नहीं है कि वो बिना कानून बनाए सांसदों को पेशन सुविधाएं दे।
याचिकाकर्ता ने ये भी कहा था, 82 प्रतिशत सांसद करोड़पति हैं और गरीब करदाताओं के ऊपर सांसदों और उनके परिवार को पेंशन राशि देने का बोझ नहीं डाला जा सकता है।
हालांकि तत्कालीन जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर और जस्टिस संजन किशन कौल की पीठ ने इस मामले को कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर का बताते हुए ये याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा था, हमारा मानना है कि विधायी नीतियां बनाने या बदलने का सवाल संसद के विवेक के ऊपर निर्भर है। संसद के सदस्यों का वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम, 1954 की धारा 8ए के तहत अगर कोई भी व्यक्ति किसी भी समय के लिए (चाहे एक दिन के लिए भी) सांसद बनता है तो उसके लिए पेंशन राशि पक्की हो जाती है।

यात्रा की सुविधा:

पहले ये नियम था कि अगर कोई चार साल के लिए सांसद का कार्यकाल पूरा करता है तभी उसे पेंशन के लिए योग्य माना जाएगा। हालांकि साल 2004 में सरकार ने संशोधन करके इस प्रावधान को हटा दिया था।
लोक प्रहरी ने अपनी याचिका में कहा था, गवर्नर को पेंशन की कोई सुविधा नहीं मिलती है, लेकिन अगर कोई एक दिन के लिए भी सांसद बनता है तो उसकी पत्नी को जीवन भर के लिए पेंशन मिलता है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कार्यरत जजों को उनकी पत्नी के लिए फ्री एयर/ट्रेन यात्रा की सुविधा नहीं मिलती है लेकिन पूर्व सांसद सहयोगी के साथ साल के 365 दिन के लिए सेकंड एसी में मुफ्त में यात्रा कर सकते हैं।
मौजूदा नियम के मुताबिक अगर कोई दो बार सांसद चुना जाता है तो उसकी पेंशन राशि 25,000 के अलावा 2,000 रुपए प्रति माह और बढ़ाकर दी जाती। इसकी तरह अगर कोई तीन बार सांसद चुना जाता है तो उसकी पेंशन राशि में और 2,000 रुपए का इजाफा कर दिया जाता है और यही क्रम आगे चलता जाता है। अगर कोई पूर्व लोकसभा और राज्यसभा सांसद दोनों है तो उसे लोकसभा का अलग से पेंशन मिलता है और राज्यसभा का अलग से।

किसे मिलती है कितनी पेंशन:

मिली जानकारी के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को साल 2018 में 86,000 रुपए प्रति महीने पेंशन मिलती थी। इसी तरह पूर्व राज्यसभा सांसद जॉर्ज फर्नांडीस को 57,500 रुपए हर महीने पेंशन मिलती थी। वहीं जेल में बंद बिहार के सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को भी 30,500 रुपए हर महीने पेंशन मिलती है। उद्योगपति और पूर्व कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल को 27,500 रुपए और पूर्व राष्ट्रपति और सांसद प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को 26,500 रुपए प्रति माह पेंशन मिलती है।
संसद के सदस्यों का वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम, 1954 में अब तक कुल 29 बार संशोधन किया गया है और इन संशोधनों के आधार पर सांसदों, पूर्व सांसदों एवं उनके परिजनों के लिए कई सारी सुविधाएं देने का प्रावधान जोड़ा गया है।

केंद्रीय पेंशन लेखा कार्यालय (सीपीएओ) से मिली जानकारी के मुताबिक 1976 में सांसदों को 300 रुपए का पेंशन मिलती थी। इसके बाद कई सारे संशोधनों के तहत 1985 में ये राशि 500 रुपए, 1993 में 1400 रुपए 1998 में 2500 रुपए 2001 में 3000 रुपए 2006 में 8000 रुपए 2010 में 20,000 रुपए और 2018 में 25,000 की गई है।

केंद्र सरकार ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में कहा था कि चूंकि सांसद के पद से हटने के बाद भी व्यक्ति को अपने क्षेत्र में आना जाना पड़ता है और अगले चुनाव की तैयारी करनी पड़ती है इसलिए पूर्व सांसदों को पेंशन दी जानी चाहिए।

क्या कहते हैं जिम्मेदार:

इस पर लोक प्रहरी एनजीओ के जनरल सेक्रेटरी एसएन शुक्ला ने कहा कि, ये तर्क सही नहीं है क्योंकि पेंशन और अन्य सुविधाओं की वजह से चुनाव में पूर्व सांसदों को नए उम्मीदवार के मुकाबले फायदा मिलता है। सांसद नहीं होने के बाद भी ये जनता के पैसे पर पूरे भारत में फ्री में घूमते हैं लेकिन जो पहली बार चुनाव लड़ रहा होता है उसे ये फायदे नहीं मिलते हैं, इसलिए मुकाबला बराबरी का नहीं होता है।

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