रायपुर। चिप्स के पूर्व सीईओ 20 फरवरी 2018 को कान्हा किसली गए। वहां के तुली कान्हा रिसॉर्ट में ठहरे। इसके लिए चिप्स को आइस क्यूब्स सर्विस नामक टैÑवेल एजेंसी ने 32 हजार रुपए का बिल दिया है। इसकी कॉपी टीआरपी के पास मौजूद है। ऐसे में जनता ये जानना चाहती है कि आखिर 21 फरवरी शनिवार और 22 फरवरी रविवार को वहां सीईओ चिप्स कौन सी बैठक ले रहे थे, जिसके लिए इतनी बड़ी रकम का भुगतान किया गया? ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि क्या इसके लिए विभाग से परमिशन ली गई थी? अगर नहीं तो क्यों? तो वहीं अगला और अहम सवाल तो ये कि आखिर ऐसे बिल पास कैसे हो जाते हैं?


ताजलैंड्स इंड का 25 हजार का बिल:


रायपुर की जिस कंपनी ने तुली कान्हा का बिल लगाया है, उसी कंपनी ने दूसरा बिल मुंबई के नामी होटल ताजलैंड्स इंड का भी लगाया है। इसमें चिप्स के पूर्व सीईओ के ठहरने के खर्च का विवरण दर्ज है। इसके लिए 25 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से चार्ज किए गए हैं। ऐसे में सवाल तो यह भी उठता है कि पूरे 4 साल के कार्यकाल में फ्लाइट, टैक्सी एवं होटलों में ठहरने के करोड्Þों रुपए के बिल एक ही एजेंसी से क्यों बनवाए गए? ये अधिकार किसने दिया? उससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात तो ये है कि ये बिल पास कैसे हो गए?


सरकारी खजाने पर टैक्स की दोहरी चोट:


बाहर के जितने भी बिल उपरोक्त कंपनी ने चिप्स में भुगतान के लिए लगाए हैं, उन सभी में दो बार सरकार को जीएसटी का भुगतान करना पड़ा है। एक ही बिल को एक बार प्रदेश की कंपनी लगा रही है तो दूसरी बार प्रदेश के बाहर की कंपनी। इस तरह सरकारी खजाने को दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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