मुंबई। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने होटल लीलावेंचर के ब्रुकफील्ड ऐसेट मैनेजमेंट के संग सौदे पर आगे बढ़ने से रोक लगा दी है। लीलावेंचर की शेयरधारक आईटीसी और भारतीय जीवन बीमा निगम ने इस सौदे को लेकर आपत्ति जताते हुए नियामक को पत्र लिखे थे। इस बीच राष्ट्रीय कंपनी लॉ पंचाट (एनसीएलटी) आईटीसी की याचिका पर 18 जून को सुनवाई करेगा। आईटीसी ने लीलावेंचर के मामले में तुरंत सुनवाई करने और कंपनी अधिनियम की धारा 241 के तहत याचिका दायर के लिए 10 फीसदी न्यूनतम शेयरधारिता सीमा में छूट देने की मांग की थी। आईटीसी ने अपनी याचिका में उत्पीड़न और कुप्रबंधन को आधार बनाया है।

सेबी ने लीला को पत्र में क्या जवाब दिया:

सेबी ने लीला को लिखे पत्र में कहा कि ‘नियामक की ओर से आपत्तियों की समीक्षा की जा रही है और निवेशकों के हितों को ध्यान में रखते हुए सलाह दी जाती है कि सेबी के अगले आदेश तक कोई सौदा नहीं करना सुनिश्चित की जाए। 18 मार्च के डाक मतपत्र नोटिस में लीला ने अपने चार होटलों और अन्य संपत्तियों को ब्रुकफील्ड को बेचे जाने की शेयरधारकों से मंजूरी मांगी गई थी। मतदान की अवधि 24 अप्रैल को खत्म हो गई। पंचाट ने लीला और जेएम फाइनैंशियल ऐसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी को नोटिस भेजकर तीन हफ्ते के अंदर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। होटल लीला में जेएम फाइनैंशियल की 26 फीसदी हिस्सेदारी है।

आईटीसी का पक्ष भी सुनेगी पंचाट:

सेबी की ओर से सौदे पर रोक लगा दी गई है, ऐसे में एनसीएलटी में तत्काल निर्णय की कोई जरूरत नहीं है। पंचाट मामले की अगली सुनवाई के दौरान 10 फीसदी की न्यूनतम शेयरधारिता से छूट की मांग के बारे में आईटीसी का पक्ष सुनेगी। लीला और जेएम फाइनैंशियल इसका इस आधार पर विरोध किया याचिका स्वीकार करने का मतलब होगी कि आईटीसी को शेयरधारिता नियम से छूट दे दी गई। अगली सुनवाई में दोनों फर्में इसका विरोध करेंगी। कोई भी शेयरधारक उत्पीड़न और कुप्रबंधन को लेकर उस स्थिति में याचिका दायर कर सकता है जब उसके पास संबंधित कंपनी में कम से कम 10 फीसदी हिस्सेदारी हो। आईटीसी के वकील ने तर्क दिया कि कंपनी के पास लीला में 11.78 फीसदी हिस्सेदारी थी। सितंबर 2017 में जेएम फाइनैंशियल एआरसी के कर्ज को इक्विटी में बदले जाने के बाद आईटीसी की हिस्सेदारी 10 फीसदी से कम हो गई। अभी लीला में आईटीसी की 7.92 फीसदी हिस्सेदारी है। ब्रुकफील्ड के वकील ने कहा कि वह हस्तक्षेप याचिका दायर कर सकती है क्योंकि लीला के खिलाफ आईटीसी की याचिका में कनाडाई प्राइवेट इक्विटी फर्म को पक्ष नहीं बनाया गया है। आईटीसी की याचिका में जेएम फाइनैंशियल को 16.39 करोड़ शेयर जारी किए जाने को रद्द करने की मांग की है। इसके साथ ही आईटीसी ने लीला के प्रवर्तकों विवेक नायर और दिनेश नायर तथा निदेशकों विनय कपाडिय़ा तथा विजय शर्मा को निदेशक मंडल से हटाए जाने की भी मांग की है। लीला में एलआईसी की 2.36 फीसदी और आईटीसी में 16.19 फीसदी हिस्सेदारी है।

सौदे में कब क्या-क्या हुआ:

सितंबर 2017 : जेएम फाइनैंशियल एआरसी ने कुछ कर्ज को इक्विटी में बदल कर होटल लीला में 26 फीसदी हिस्सेदारी की। मार्च 2018 : ब्रुकफील्ड और लीला वेंचर के बीच 3,950 करोड़ रुपये में हुआ सौदा। जनवरी 2019 : जेएम फाइनैंशियल होटल लीला को एनसीएलटी में ले गई। 18 मार्च, 2019 : होटल लीला के बोर्ड ने सौदे को दी मंजूरी, शेयरधारकों को डाक मतपत्र के जरिये सौदे के पक्ष में वोट देने को कहा। 3 अप्रैल, 2019 : आईटीसी ने डाक मतपत्र नोटिस के दस्तावेजों की जांच की मांग की। 23 अप्रैल, 2019 : आईटीसी होटल लीला वेंचर के खिलाफ एनसीएलटी पहुंची।   Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें  Facebook पर Like करें, Twitter पर Follow करें  और Youtube  पर हमें subscribe करें।