जगदलपुर। वर्तमान में तेंदूपत्ता संग्रहण के साथ-साथ खरीदी करने का भी सिलसिला शुरू हुआ था जो विभाग ने दो दिन खरीदी करने के बाद स्थगित कर दिया है। इसका प्रमुख कारण यह है कि पूर्व के दो वर्षों में जिन तेंदूपत्ता लाटों को वन विभाग ने खरीदा था। उन लाटों की अभी तक बिक्री नहीं हो सकी है। अब ये तेंदूपत्ते गोदाम में रखे-रखे सड़ने की स्थिति में आ गए हैं। इसे बेचने के लिए वन विभाग ने कई बार निविदायें जारी की, लेकिन सभी प्रयास विफल साबित हो गये।
नहीं मिल रहे खरीददार :
उल्लेखनीय है कि तेजी से बढ़ते विकास के कारण आज आम ग्रामीण और श्रमिक वर्ग बीड़ी पीने से बच रहे हैं। इसके कारण बाजार में बीड़ी का उठाव कम हो रहा है। इसका परिणाम है कि तेंदूपत्ता खरीदी के लिए भी कोई रूझान पहले जैसा नहीं है। तेंदू पत्ता खरीद कर बीड़ी बनाने वाले भी आज इस काम से
अपने आप को धीरे-धीरे अलग कर रहे हैं।
इसे भी पढ़े अब शिक्षक करेंगे तेंदूपत्तों की रखवाली :समितियों के पास 119 लाख तेंदू पत्ता है संग्रहित :
बस्तर वनवृत के चारों वन मंडलों में 75 समितियों के पास 119 लाख तेंदू पत्ता संग्रहित है और इसमें से 70 लाख भर की ही बिक्री हुई है। जबकि 49 लाट पर विभागीय खरीदी की जा रही है। इस वर्ष 1 लाख 3 हजार 200 मानक बोरा खरीदी करने का लक्ष्य है, लेकिन खरीदी बंद करने से इस लक्ष्य के पूर्ति भी नहीं हो पायेगी और संग्रहकों को मिलने वाली राशि भी नहीं मिल पायेगी। इस संबंध में विभाग के सूत्र कहते हैं कि बेमौसम बारिश से और मौसम की अनिश्चितता के कारण यह कदम उठाया गया है, जबकि असलियत कुछ और ही है।
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