नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के किसान फसल बीमा को प्रीमियम तो समय पर भरते हैं, मगर जब उनकी फसल नष्ट हो जाती है तो उनको बीमा कंपनियां समय पर भुगतान नहीं करती हैं। शुक्रवार को ये प्रश्न राज्य सभा सांसद रामविचार नेताम ने उठाया। राज्य सभा में उठाए गए तारांकित प्रश्न के माध्यम से छत्तीसगढ़ में फसल बीमा योजना के विषय को उठाया।

उन्होंने अपने प्रश्न में विभागीय मंत्री को जानकारी दी कि छत्तीसगढ़ राज्य में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान तो सही समय पर अपना बीमा का प्रीमियम भरते हंै पर जब फसल में नुकसान होता है, तो इस योजना के माध्यम से होने वाला लाभ किसानों को सही समय पर नही मिल पा रहा है।
इसके चलते किसानों का इस महत्वकांक्षी योजना पर से भरोसा उठ रहा है। नेताम ने प्रश्न किया कि छत्तीसगढ़ में इस योजना के क्रियान्वयन में सरकार को कितनी सफलता मिली है? साथ ही इस योजना के अंतर्गत अभी तक छत्तीसगढ़ के कितने किसानों का बीमा किया गया है?
केंद्रीय मंत्री का अटपटा जवाब:
केंद्रीय राज्य मंत्री पुरषोत्तम रूपला ने सदन को बताया कि छत्तीसगढ़ में हर साल किसानों के बीमा करने में वृद्धि हुई है । उन्हें हर प्रकार की क्षति का भुकतान योजना के मापदंड अनुसार किया गया है।
पुरषोत्तम रूपला ने नेताम को आश्वस्त किया है कि छत्तीसगढ़ में किसानों को होने वाले नुकसान का भुगतान सही समय पर होगा । इस अटपटे प्रश्न पर छत्तीसगढ़ के किसानों की हालत जानने वाले लोगों को गुस्सा जरूर आ रहा होगा। कितने किसानों का बीमा हुआ इसका उत्तर भी केंद्रीय मंत्री सदन को नहीं दे सके।
अब इसकी असलियत भी जानें:
छत्तीसगढ़ में 45 किसानों को फसल बीमा योजना के तहत 1 रुपए का चेक दिया गया है। तो वहीं बड़ी तादाद में किसानों को 5, 7 और 13 रुपए के चेक बांटे गए थे। इससे हास्यास्पद स्थिति और क्या हो सकती है। केंद्रीय मंत्री को छत्तीसगढ़ के किसानों की वास्तविक स्थिति के बारे में संभवत: कोई ज्ञान नहीं है। उनको अपडेट होकर संसद में जाना चाहिए।
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