रायपुर। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बता रहे हैं कि 1995 से 2015 तक कुल 3,22,028 किसानों ने खुदकुशी की है। तो वहीं 2015 में सत्ता में आने के बाद भाजपा की सरकार ने इस पर रोक लगा दी। यानि अब एनसीआरबी अन्नदाता की खुदकुशी के आंकड़े जारी नहीं करती। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्यों? क्या केंद्र सरकार का ऐसा करना जायज है। इस सवाल का जवाब खोज रही है हमारी आज की रिपोर्ट:

अमित जोगी : छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने कहा कि गलतियों पर पर्दा डालने की भाजपा सरकार की आदत है। चाहे वह किसानों की आत्महत्या का मामला हो, या फिर बेरोजगारों के आंकड़ों का। ये सरकार सच्चाई को जनता के सामने नहीं लाना चाहती है। उसको लगता है कि हमारे छिपा लेने भर से सच्चाई छिप जाएगी। तो वहीं कड़वी सच्चाई ये भी है कि जनता सब कुछ जानती है। समय आने पर वही माकूल जवाब भी देगी।
शैलेश नितिन त्रिवेदी:
कांग्रेस के प्रदेश महासचिव शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि ये केंद्र सरकार की किसान विरोधी मानसिकता है। ये लोग मामले को दबाना चाहते हैं। यही कारण है कि इनको आंकड़े जारी करने में डर लग रहा है। जब कि ऐसा नहीं होना चाहिए। इनके रोक लेने भर से सच्चाई छिप नहीं जाएगी। वो एक न एक दिन जनता के सामने आकर ही रहेगी, इसमें कोई दो राय नहीं है।
प्रकाशपुंज पाण्डेय:
सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाशपुंज पाण्डेय ने कहा कि अपनी विफलताएं सामने न आ सकें, इस लिए भाजपा सरकार आंकड़े छिपाती है। वास्तव में जो कुछ भी आंकड़े ये बताती है मात्र एक तिहाई ही बताती है। डॉ. रमन सिंह ने खुद एक मंच से कहा था कि अगर अधिकारी एक साल कमीशनखोरी बंद कर दें तो हम फिर से सत्ता में आ जाएंगे।
कोमल हुपेंडी: आम आदमी पार्टी के राष्टÑीय संयोजक कोमल हुपेंडी ने कहा कि ये सरासर गलत है। भाजपा की सरकार में छत्तीसगढ़ के किसानों को ब्याज के नाम पर ठगा जा रहा था। अब कांग्रेस की सरकार आई है तो ऋण मुक्ति के नाम पर छला जा रहा है। वास्तव में ये दोनोें ही पार्टियां किसान विरोधी हैं। इनको किसानों की जिंदगी मौत से ज्यादा मतलब अपने वोट से है। इसको छत्तीसगढ़ की जनता भी भलीभांति सम­ा चुकी है। समय आने पर वो इसका माकूल जवाब देगी।
गुणवंतराव घाटगे: महाराष्टÑ मंडल के गुणवंतराव घाटगे ने कहा कि ऐसा करके सरकार लोकतंत्र का गला घोंट रही है। उसको ऐसा नहीं करना चाहिए। तो वहीं किसान हमारे अन्नदाता हैं। उनको वे सारी सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए, जिसके वो हकदार हैं।
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