रायपुर। राजनीतिक तौर पर ताकतवर माने जाने वाले बहुसंख्यक 22 % आबादी वाला साहू समाज एक बार फिर उपेक्षा का शिकार हुआ है। एकबार पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर ताम्रध्वज साहू को दरकिनार किया गया था। उस दौरान कांग्रेस पार्टी ने साहू समाज को आश्वासन दिया था कि सत्ता में उनके नेतृत्व का सम्मान किया जाएगा। अमरजीत भगत को मंत्री पद दिए जाने को लेकर साहू समाज ने कांग्रेस पार्टी को ज्ञापन सौंपा है।
मगर एकबार फिर समाज के लोगों का कहना है कि अमरजीत भगत को जगह देकर उन्हें पुनः दरकिनार कर दिया गया है। साहू समाज ने सर्वमानन्य नेता के रुप में माने जाने वाले 5 बार के अभनपुर के विधायक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष रहे पूर्व मंत्री धनेंद्र साहू के लिए जमकर लाबिंग की थी। मगर मंत्रिमंडल विस्तार में एक बार फिर समाद को निराशा हाथ लगी। बचे मंत्री का एक पद सहित प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद आदिवासी वर्ग को दे दिया गया। जिससे साहू समाज भारी आक्रोशित है।
कम अनुभव रखने वालों को बहुत ज्यादा महत्व
छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ द्वारा बताया गया कि 11% अनुसूचित जाति से दो मंत्री, 31% आबादी वाला आदिवासी समाज से प्रदेश अध्यक्ष सहित चार मंत्री, 8% आबादी वाला सामान्य वर्ग से तीन मंत्री, 1.7% मुस्लिम समाज से एक मंत्री लेकिन 22% बहुसंख्यक वर्ग से ताल्लुक रखने वाला राजनीतिक तौर पर ताकतवर साहू समाज में योग्य एवं अनुभवी के बाद भी मात्र एक मंत्री जबकि अन्य वर्ग से आने वाले समाज से कम अनुभव रखने वालों को बहुत ज्यादा महत्व दिया गया है। जबकि सीधे, सौम्य स्वभाव, किसान और मजदूरों के हित के लिए लगातार लड़ाई लड़ने वाले संसदीय ज्ञान व लोगों के बीच में सामाजिक व्यवस्था राजनीतिक व्यवस्था इत्यादि चीजों में छत्तीसगढ़ के अभनपुर विधायक धनेंद्र साहू सबसे आगे है।
सबसे ज्यादा मुखर रहते हैं धनेंद्र- साहू समाज
छत्तीसगढ़ प्रदेश में विधानसभा सदन में जनहित को लेकर के सबसे ज्यादा मुखर रहने वाले धनेंद्र साहू ही है। 35 सालों की लंबी राजनीति जीवन में राजनीति तौर पर तमाम उतार चढ़ाव आने के बावजूद भी कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। पूर्व में किए उनके द्वारा जनहित को लेकर के काम समाज और पार्टी के प्रति निष्ठा ही बहुत कुछ साबित करता है। आज छत्तीसगढ़ का पूरा साहू समाज छत्तीसगढ़ का स्वाभिमान धनेंद्र साहू के ऊपर टिका हुआ है। ऐसे में एक ही साहू समाज के व्यक्ति को मंत्री बनाकर झुनझुना पकड़ा दिया गया है। जबकि पूरे प्रदेश में धनेंद्र साहू किसान एवं मजदूर नेता के रुप में लोकप्रिय है। समाज एवं किसान, मजदूर उनको मंत्री या प्रदेश अध्यक्ष के पद पर देखना चाह रहे थे लेकिन इस बार भी समाज की उपेक्षा हुई जिस्से समाज में भारी आक्रोश है।