रायपुर। महापौर प्रमोद दुबे एवं कांग्रेसी पार्षदों ने निगम की तीन-चार जुलाई को हुई सामान्य सभा को शून्य घोषित करने की मांग शासन से की है। उन्होंने बजट पुस्तिका सदन में बंटवाने को अवैधानिक बताते हुए सभापति पर कार्यवाही की मांग भी की है।

दूसरे दिन कैसे बंटवा दी बजट की प्रतियां

महापौर श्री दुबे व एमआईसी सदस्यों ने शुक्रवार को पत्रकारों से चर्चा में कहा कि भैंसथान पर चर्चा के चलते पहले दिन दोपहर करीब 3 बजे सभा को दूसरे दिन सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इस संबंध में उसी दिन की शाम 5 बजे सचिवालय से कार्यवाही को लेकर लिखित में जवाब मांगा गया, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला। दूसरे दिन फिर से सभा शुरू हो गई और विपक्षी पार्षदों के साथ सभा चलाते हुए बजट की प्रतियां बंटवा दी गई।

बजट 1 फरवरी को एमआईसी में हो चुका है पारित

उन्होंने सभा में सिर्फ भाजपा पार्षदों को बुलाकर शामिल होने को अवैधानिक करार देते हुए कहा कि धारा 98 का उल्लेख कर सभापति ने बजट की पुस्तिका को दिखा कर वहां अपनी फोटो खींचवाई, जो सस्ती मानसिकता का परिचायक है। महापौर व कांग्रेस पार्षदों ने कहा है कि बजट 1 फरवरी को एमआईसी से पारित हो चुका है। इस पर सुझाव एवं चर्चा करने के बजाए केवल पुस्तक को लेकर फोटो खींचवाया, जो असंवैधानिक कृत्य की श्रेणी में आता है। साथ ही कांग्रेस के पार्षदों ने यह भी आरोप लगाया कि जो सदस्य सदन में उपस्थित नहीं है उसे दूसरे दिन निलंबित किस नियम से किया गया।

सभापति का काम आचरण संहिता के विरूद्ध

उन्होंने कहा कि निगम के कामकाज का संचालन तथा संपादन प्रक्रिया के तहत सभापति ने जिस एमआईसी सदस्य एजाज ढेबर को निलंबित किया वह सदस्य सदन में उपस्थित ही नहीं था। धारा 36 में स्पष्ट है कि कोई सदस्य के आचरण से सभा बाधित होती है तो अध्यक्ष उसे सभा से चले जाने की आज्ञा दे सकता है। जो सदस्य मौजूद ही नहीं है, उसे दूसरे दिन कैसे निलंबित करना समझ से परे है। कुल मिलाकर सभापति का काम आचरण संहिता के विरूद्ध तथा अधिकार के विपरीत कार्रवाई को प्रदर्शित करता है। उन्होंने शासन से मांग की है कि निगम की उस दिन की सामान्य सभा कार्रवाई को शून्य घोषित किया जाए।

महापौर व कांग्रेस पार्षदों ने यह भी कहा है कि भाजपा पार्षदों से किसने बजट के समर्थन या विरोध में विनिश्चय कराया और उन्होंने गिराया बताया। पारित बजट पर चर्चा या सुझाव के बाद पार्षदों की प्रतिक्रिया आती है। कांग्रेस पार्षद एवं एमआईसी सदस्यों ने सभापति से ये भी जानना चाहा है कि पिछले बार के जिस बजट को फाड़ कर सदन में राष्ट्रपति की तस्वीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे उन पर कोई कार्रवाई न करना क्या सदन को अपमानित करना नहीं था। इन सब तथ्यों से ये साबित होता है कि सभापति ने सदन को धारा 98-99 की गलत जानकारी प्रस्तुत कर बजट पुस्तिका के साथ अपनी तस्वीर उतारी, जो अशोभनीय है।

 

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