नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir)में अनुच्छेद 370(Article -370) के 2 खंडों के खत्म होने के बाद अब वहां युवाओं को रोजगार देने की चुनौती(The challenge of employing youth) है। ऐसे में वहां फार्मा उद्योग (Pharma industry) के विकास की काफी प्रबल संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। पहले से पैर जमाए बैठी फार्मा कंपनियां (Pharma industry) अब अपने विकास की आस लगाए बैठी हैं। इससे स्थानीय युवाओं को जहां रोजगार मिलेगा, तो वहीं राज्य की माली हालत में भी सुधार आएगा।
कितने का है ये पूरा बाजार:
जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में फार्मा उद्योग का बाजार(Pharma industry market) करीब 1,200 से 1400 करोड़ रुपये का है। इसकी तुलना में महाराष्ट्र और यूपी जैसे बाजार से करीब 20 गुना ज्यादा (About 20 times more than markets like Maharashtra and UP) हैं। जम्मू दवा उद्योग (Pharma industry) का प्रमुख केंद्र है और यहां ल्यूपिन, सन फार्मा, कैडिला फार्मास्यूटिकल्स जैसी कई कंपनियों के कारखाने हैं। जम्मू में कुल ऐसी करीब 50 फैक्ट्रियां हैं, जिनमें से कुछ स्थानीय निर्माता भी हैं।
यहां क्यों आना चाहती हैं फार्मा कंपनियां:
आज जब देश के ज्यादातर स्थानों पर जल संकट चल रहा है और बिजली की लागत बढ़ती जा रही है, जम्मू-कश्मीर इस मामले में काफी बेहतर है। जम्मू में बिजली करीब 2 रुपए प्रति यूनिट मिलती है, जबकि देश के अन्य इलाकों में बिजली 6 से 7 रुपए प्रति यूनिट मिलती है। इसकी वजह यह है कि वहां पनबिजली का काफी विकास हुआ है। यहां साल के ज्यादातर समय ठंडा मौसम रहने के कारण जम्मू-कश्मीर में बिजली की खपत भी कम होती है।
ठंडा मौसम भी है मुफीद:
दवा उद्योग (Pharma industry) से जुड़े लोगों का मानना है कि यहां फार्मा सेक्टर का विकास काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार संभावित निवेशकों को किस तरह का प्रोत्साहन देती है और शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए क्या उपाय किए जाते हैं। ठंडा मौसम दवा उद्योग के लिए काफी मुफीद भी होता है, क्योंकि यह तापमान के प्रति संवेदनशील माने जाने वाली वैक्सीन्स के उत्पादन के लिए आदर्श माहौल पेश करता है।
कौन-कौन सी बनती हैं दवाएं:
फिलहाल, इस इलाके की ज्यादातर दवा फैक्ट्रियां (Pharma industry) एक्यूट केयर से जुड़ी दवाइयां बनाती हैं। इनमें से करीब 65-70 फीसदी कारखाने गैस्ट्रो इंटेस्टिनल और एंटीबायोटिक्स जैसे मेजर थेरेपी में हैं। गंभीर बीमारियों की बात करें तो ज्यादातर दवाइयां कॉर्डियोलॉजी से जुड़ी हैं, जिसका यहां बड़ा बाजार भी है। ज्यादातर दवा कंपनियां (Pharma industry) जम्मू से और कुछ श्रीनगर से संचालित होती हैं।
नीतिगत पहल का इंतजार :
दवा उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि वे अपनी निवेश योजना को आगे बढ़ाने से पहले कुछ इंतजार करने की नीति अपनाएंगे। अब सबकी नजर केंद्र सरकार पर है कि आगे वह निवेशकों को आकर्षित करने के लिए किस तरह की सहूलियत देती है।
दशहरे तक होगा निवेशक सम्मेलन:
जानकार सूत्रों ने बताया कि दशहरे तक यहां व्यापक स्तर पर निवेशकों का सम्मेलन बुलाया जाएगा। इसमें पूरे देश के तमाम नामी-गिरामी उद्योगपतियों को आमंत्रित किया जाएगा। उसके बाद वहां निवेश की तमाम संभावनाओं पर प्रभावी रणनीति तैयार की जाएगी।
युवाओं के हाथों में देंगे मोबाइल-लैपटॉप:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में एक बार कहा था कि उनकी सरकार जम्मू-कश्मीर(Jammu-Kashmir) के युवाओं के हाथ में मोबाइल-लैपटॉप देना चाहती है…पत्थर नही। प्रधानमंत्री अपने उस वादे को पूरा करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं। दशहरे के बाद ही जम्मू-कश्मीर में निवेश का हर रास्ता खोल दिया जाएगा। इसके बाद तेजी से यहां की परिस्थितियों में परिवर्तन होगा। लोगों को रोजगार मिलेगा। लोग आत्मनिर्भर बनेंगे।

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