मुंबई। जेट एयरवेज (Jet airways) को अब खरीदार भी नहीं मिल रहे। वेदांता रिसोर्सेज (Vedanta Resources) के अनिल अग्रवाल के पारिवारिक ट्रस्ट वॉल्कैन इंवेस्टमेंट (Vulcan Investment) ने भी अब इससे हाथ खींच लिया। फैमिली के सूत्रों ने कहा कि इनका मानना है कि बंद पड़ी एयरलाइन खरीदकर क्या करेंगे? इससे जेट एयरलाइन (Jet airways) की उम्मीदों को जोरदार झटका लगा है।
शनिवार को जमा किया था रुचि पत्र:
कर्ज में डूबी जेट एयरवेज का मुकदमा दिवाला संहिता के तहत एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) में चल रहा है। अनिल अग्रवाल की निवेश कंपनी वॉल्कैन इंवेस्टमेंट्स ने कि जेट एयरवेज को खरीदने के लिए उसने शनिवार को रुचि पत्र (EOI) जमा किया था। अनिल अग्रवाल ने कहा, कि “जेट एयरवेज (Jet airways) के लिए वॉल्कैन ने जो रुचि पत्र जमा किया था, वह शुरुआती खोजबीन के आधार पर था।
एतिहाद ने किया किनारा:
एतिहाद ने भी दूसरे दौर में भाग लेने से किनारा कर लिया, जबकि एतिहाद एयरवेज (Etihad Airways) की जेट में 24 फीसदी हिस्सेदारी है। एतिहाद ने कहा कि देनदारी से जुड़े मुद्दे नहीं सुलझने से उसने जेट एयरवेज में फिर से निवेश के लिए ईओआई जमा करने से मना कर दिया है। जेट एयरवेज (Jet airways) के ऋणदाताओं ने पहले रुचि (EOI) पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 3 अगस्त रखी थी। लेकिन, बोली नहीं मिलने से इसे बढ़ाकर 10 अगस्त किया गया। इससे पहले भी जेट को उस समय इसी तरह की स्थिति का सामना अप्रैल में भी करना पड़ा था । जब एतिहाद और टीपीजी पार्टनर्स समेत चार पक्षों ने रुचि पत्र जमा किया था, लेकिन, उनमें से काई भी सौदे को परवान चढ़ाने की दिशा में आगे नहीं बढ़ा।
इन कंपनियों पर टिकी हैं जेट की उम्मीदें:
अग्रवाल के इस कदम के बाद अब एयरलाइन की संपत्तियों को खरीदने की दौड़ में सिर्फ दो कंपनियां रह गई हैं। इनमें पनामा की निवेश फर्म अवंतुलो ग्रुप और रशियन फंड ट्रेजरी आरए क्रिएटर है। दोनों फर्मों को 12 सितंबर तक अंतिम बोलियां जमा करनी हैं। वित्तीय संकट से जूझ रही जेट एयरवेज ने अप्रैल में परिचालन बंद कर दिया है। वहीं अनिल अग्रवाल ने कहा कि बेशक वह सौदे से पीछे हटे हैं, लेकिन, उनकी इच्छा है कि अन्य एयरलाइन और निवेशक जेट की बोली में हिस्सा लें। ऐसे में अब देखना यही होगा कि क्या जेट एयरवेज (Jet airways) को फिर कोई खरीदार मिल पाएगा?