रायपुर। जम्मू-कश्मीर(Jammu and Kashmir) में अनुच्छेद 370 को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले  जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम (Jammu and Kashmir Chief Secretary BVR Subramaniam) को राज्य सरकार (State government) छह महीने और सीएस के पद पर रखना चाह रही है। अफसरों के अनुसार केंद्र से इसकी अनुमति नहीं मिली। ऐसे में राज्य सरकार को उन्हें सेवानिवृत्त करना ही पड़ेगा, अगर यह नौबत आती है तो छत्तीसगढ़ सरकार सीनियर आइएएस अफसर सुब्रमण्यम को वापस बुला सकती है। इसके पीछे कारण ये है कि छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव सुनील कुजूर(Chief Secretary of Chhattisgarh Sunil Kujur) के सेवा विस्तार (Service extension) का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास लंबित है। कुजूर अक्टूबर में रिटायर हो रहे हैं, लेकिन उनके एक्सटेंशन के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार (central government) ने अब तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। महानदी भवन (Mahanadi Bhavan) के गलियारों में इस बात की चर्चा जोर पकड़ने लगी है। राज्य में आइएएस अफसरों की कमी का हवाला देकर सरकार उनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त करने का आग्रह केंद्र सरकार से कर सकती है। तो वहीं दिल्ली दरबार के लोगों का कहना है कि केंद्र सरकार उनको फिलहाल रिलीव करने के मूड में कतई नहीं है।

कुछ भी बोलने से बच रहे लोग:

मामले के हाईप्रोफाइल होने के कारण इस मामले में कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार सुब्रमण्यम की वापसी की मांग कर कुजूर के सेवाविस्तार के प्रस्ताव को स्वीकृत कराने का दबाव बना सकती है। उल्लेखनीय है कि सुब्रमण्यम छत्तीसगढ़ कैडर के 1987 बैच के आइएएस हैं।

आसान नहीं है सुब्रमण्यम की वापसी:

जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम सितंबर 2022 तक सेवा में रहेंगे। फिलहाल वे जून 2018 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में है। उन्हें गए अभी करीब 14 महीने हुए हैं। आला अफसरों के अनुसार जम्मू-कश्मीर में जिस तरह के हालात हैं, ऐसे में केंद्र सरकार उन्हें वहां से हटाने को राजी नहीं होगी। ऐसे में उनकी छत्तीसगढ़ वापसी संभव नहीं है।

सीनियरिटी में सातवें नंबर पर :

वैसे भी सुब्रमण्यम राज्य कैडर की सीनियरिटी में सातवें नंबर पर हैं। यहां उनका रैंक एसीएस है। 1986 बैच के कुजूर इस वक्त सीएस हैं। कैडर में सीनियरिटी में सबसे ऊपर 1983 बैच के अजय सिंह हैं। पूर्ववर्ती सरकार में वे मुख्य सचिव थे, फिलहाल राजस्व मंडल के अध्यक्ष हैं। कैडर में दूसरे नंबर पर 1985 बैच के एन. बैजेंद्र कुमार हैं।
अभी वे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं और एनएमडीसी के अध्यक्ष हैं। तीसरे नंबर पर 1986 बैच के डॉ. आलोक शुक्ला हैं। बहुचर्चित नान घोटाले में नाम आने के बाद से वे मंत्रालय में बिना विभाग के पदस्थ हैं। सुब्रमण्य के साथ 1987 बैच के दो अफसर और राज्य में हैं। इनमें सीके खेतान और आरपी मंडल शामिल हैं। दोनों सुब्रमण्यम से ऊपर हैं।

पीएम और डोभाल दोनों के करीबी:

यहां एक बात ये भी बता दें कि आइएएस अफसर सुब्रमण्यम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनएसए अजीत डोभाल दोनों के ही विश्वासपात्र हैं। ऐसे में केंद्र सरकार उनको आसानी से वहां से रिलीव कर देगी इसमें संदेह है। अलबत्ता अगर दबाव बनाया गया तो केंद्र सरकार उनकी शर्त पर छत्तीसगढ़ के मुख्यसचिव को एक्सटेंशन देने पर विचार कर सकती है।

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