रायपुर। दंतेवाड़ा उपचुनाव (Dantewada By Election) का बिगुल बज चुका है। ऐसे में सभी पार्टियां अपने अपने प्रत्याशी को लेकर मंथन कर रही हैं। यह चुनाव दिलचस्प होने वाला है। कांग्रेस (Congress) ने पहले ही पार्टी की ओर से देवती कर्मा (Devti Karma) के नाम की घोषणा कर दी है। वहीं भाजपा की ओर से ओजस्वी मंडावी (Ojasvi Mandavi) का नाम लगभग तय माना जा रहा है। हालांकि इस नाम पर औपचारिक घोषणा बाकी है। इस बीच दंतेवाड़ा विधानसभा सीट पर तीसरे मोर्चे ने भी अपने जीत की दावेदारी पेश कर दी है। बसपा ने प्रदेश अध्यक्ष हेमंत पोयाम (Hemant Poyam) को उपचुनाव के लिए अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं जेसीसी जे सुप्रीमो अजीत जोगी (Ajit jogi) की मानें तो जल्द ही उनकी पार्टी अपने प्रत्याशी को घोषणा कर देगी। आम आदमी पार्टी से सोनी सोरी (Soni Sori) के चुनाव लड़ने की बात सामने आ रही है।
जल, जंगल और जमीन का मामला हो सकता है प्रमुख
दंतेवाड़ा विधानसभा आदिवासी बहुल क्षेत्र है। ऐसे में इस उपचुनाव (Dantewada By Election) में आदिवासियों का दिल जितना इस चुनाव में आसान नहीं होगा। हाल ही में NMDC डिपॉजिट-13 खदान अडानी को दिए जाने के बाद होने वाले खनन का विरोध आदिवासियों ने किया था। इस मामले को लेकर अबतक कोई स्थाई हल नहीं निकल पाया है। इस दौरान आदिवासियों ने अपनी एकता दिखाई थी। ऐसे में उस क्षेत्र का विकास और जल, जंगल, जमीन ही प्रमुख मुद्दा हो सकता है। एनएमडीसी विवाद को लेकर सीपीआई और जनता कांग्रेस का समर्थन आदिवासियों को मिला था। कांग्रेस पार्टी भी खुद को बचाते हुए समर्थन करती दिखाई दी थी। टाटा इस्पात संयंत्र के लिए बस्तर के 10 गांवों की अधिगृहीत जमीन लौटाने का फायदा कांग्रेस को मिल सकता है।
सिम्पैथी पॉलिटिक्स का फायदा
कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी देवती कर्मा, भाजपा की संभावित ओजस्वी मंडावी व आम आदमी पार्टी की सोनी सोरी तीनों का दर्द एक ही है। किसी न किसी रूप में इन्होंने नक्सलवाद के दंश के कारण अपनों को खोया है। ऐसे में दंतेवाड़ा विधानसभा सीट से सिम्पैथी का फायदा किसे मिलता है यह बता पाना मुश्किल है। सोनी सोरी आदिवासियों के हक के लिए हमेशा ही आगे रही हैं।
दंतेवाड़ा विधानसभा का निर्वाचन कार्यक्रम
- नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि- 4 सितंबर 2019, बुधवार
- नामांकन पत्रों की संवीक्षा- 5 सितंबर 2019, गुरूवार
- नाम वापसी की तिथि- 7 सितंबर 2019, शनिवार
- मतदान की तिथि- 23 सितंबर 2019, सोमवार
- मतगणना की तिथि- 27 सितंबर 2019, शुक्रवार
- तिथि जिस के पूर्व निर्वाचन संपन्न होगा – 29/9/2019, रविवार
उपचुनाव को लेकर पार्टियों की प्लानिंग
दंतेवाड़ा उपचुनाव (Dantewada By Election) में कांग्रेस (Congress) और भाजपा (BJP) के बीच सीधा मुकाबला होने वाला है। कांग्रेस ने जहां इस सीट पर बस्तर टाइगर दिवंगत महेन्द्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा को मैदान में उतारा है तो वहीं भाजपा दिवंगत भीमा मंडावी की पत्नी ओजस्वी मंडावी पर दांव खेलने जा रही है। पार्टी की ओर से औपचारिक घोषणा होनी बाकी है। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि पिछले 8 माह के दौरान किए गए कार्यों के आधार पर चुनाव लड़ेंगे। वहीं भाजपा सिंपैथी कार्ड खेलने जा रही है।
नाक और साख का सवाल
भाजपा विधायक भीमा मंडावी की नक्सलियों द्वारा हत्या करने के बाद दंतेवाड़ा सीट खाली हो गई थी। बता दें कि दंतेवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में हुए 2008 के चुनाव में भाजपा के भीम मांडवी ने सीपीआई के मनीष कुंजाम को 12008 वोटों के अंतर से हराया था। तो वहीं 2013 के चुनाव में कांग्रेस की देवती कर्मा ने भाजपा के भीमाराम मांडवी को 5987 वोटों के अंतर से हराया था। फिर 2018 में हुए चुनाव में फिर भाजपा ने इस सीट पर कब्जा कर लिया था और भीमा मंडावी ने इस सीट पर जीत हासिल कर ली।
पिछले चुनाव पर एक नजर
- 2018 विधानसभा चुनाव, एसटी सीट
भीमा मंडावी, बीजेपी, कुल वोट मिले 37,990 वोट
देवती कर्मा, कांग्रेस, कुल वोट मिले 35,818
- 2013 विधानसभा चुनाव, एसटी सीट
देवती वर्मा, कांग्रेस, कुल वोट मिले 41417
भीमाराम मांडवी, बीजेपी, कुल वोट मिले 35430
- 2008 विधानसभा चुनाव, एसटी सीट
भीमाराम मांडवी, बीजेपी, कुल वोट मिले 36813
मनीष कुंजम, सीपीआई, 24805
- 2003 विधानसभा चुनाव, एसटी सीट
महेंद्र कर्मा, कांग्रेस, कुल वोट मिले 24572
नंदा राम सोरी, सीपीआई, कुल वोट मिले 19637
नक्सली मुद्दा है कॉमन
चुनाव (Dantewada By Election) के आते ही क्षेत्र में नक्सल वारदात बढ़ गई हैं। शुक्रवार को दहशत फैलाने के मकसद से नक्सलियों ने छोटे गुडरा के उपसरपंच लखमा की निर्मम हत्या कर दी है। 10 से 12 की संख्या में नक्सलियों पहले लखमा को घर से अगवा कर ले गए थे। फिर धारदार हथियार से गला रेतकर उसे मौत के घाट उतार दिया। 25 मई 2013 को झीरम घाटी हमला हुआ था। नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला कर दिया था जिसमें कांग्रेस के तकरीबन 30 नेता और कार्यकर्ता मारे गए थे। हमले में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के साथ बस्तर टाइगर से कहनाले वाले महेंद्र कर्मा भी शामलि थे। तो वहीं 9 अप्रैल 2019 को दंतेवाड़ा से एक मात्र बीजेपी विधायक भीमा मंडावी के काफिले को नक्सलियों ने निशाना बनाया था। चुनाव प्रचार के दौरान नक्सली हमले में उनकी मौत हो गई थी। ऐसे में दंतेवाड़ा में होने वाले उपचुनाव में नक्सली मुद्दों को भी पार्टियां भुना सकती हैं।