महापौर और अध्यक्ष के अप्रत्यक्ष चुनाव पर आज फैसला

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नगरीय निकायों (Municipal corporation) में महापौर (Mayour) और अध्यक्षों के चुनाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष (Direct or Indirect) तरीके से कराये जाएं इस पर आज उप मत्रिमडलीय समिति फैसला लेगी। उप मंत्रिमंडलय समीति में मोहम्मद अकबर, शिव डहरिया और रविंद्र चौबे शामिल हैं।

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भाजपा का फैसला एक साल तक सरकार के खिलाफ नहीं करेगी बड़ा आंदोलन

छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद बनी कांग्रेस की सरकार (Congress Govt) के खिलाफ (Movement) भाजपा ने एक साल तक कोई बड़ा आंदोलन नहीं करने का फैसला लिया है। इस निर्णय के पीछे ये कहा जा रहा है कि भाजपा सरकार को काम करने का मौका देना चाहती है। उसके बाद भाजपा सड़क पर उतरकर सरकार के खिलाफ आंदोलन में कूदेगी। वहीं दूसरी तरफ ये भी चर्चा है कि वर्तमान में भाजपा के मौजूदा नेतृत्व (Leadership) के साथ संगठन का एक बड़ा वर्ग साथ में खड़ा नहीं इसलिए भाजपा ने अपनी रणनीति बदली है।

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जेएनयू के छात्र रहे अभिजीत को मिला नोबल पुरस्कार

भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी (Abhijeet Benarjee) उनकी पत्नी एस्तेय डिफ्लो और माइकल क्रेमर को 2019 का आर्थशास्त्र में बेहतरीन कार्य करने के लिए नोबल पुरस्कार देने का निर्णय लिया गया है। अभिजीत को दुनिया के दर्जन भर से ज्यादा देशों में गरीबी कम करने के लिए योगदान के लिए ये पुरस्कार मिलेगा। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस के घोषणा पत्र में न्याय योजना का प्रारुप अभिजीत की सलाह पर शामिल किया गया था।

कांग्रेस के घोषणा पत्र पर हुए कामों की होगी समीक्षा

सरकार के नौ महीने के कार्यकाल में कांग्रेस के घोषणा पत्र के आधार पर कितना काम हुआ उसकी समीक्षा मुख्य सचिव सुनील कुजूर (CS Suneel Kujur) करेंगे। साथ ही सरकार को घोषणा पत्र के आधार पर किये गये कामों की समीक्षा रिपोर्ट सरकार को सौंपेगे। इन कार्यों के अलावा सरकार के कमजोर विभागों से किस तरह काम लिया जाए उसके लिए एजवायजरी भी तैयार होगी।

शराबियों की होगी गिनती

छत्तीसगढ़ मे शराब बंदी को लेकर बनी समिति ने शराबियों (Drinker) की गणना करने का सुझाव दिया है। जिस पर सरकार जल्द ही शराब दुकानों (Wine Shop) से शराबियों की गणना का कार्य शुरू करेगी।

महापौर के दावेदारों को नहीं मिल रही सेफ सीट

भले ही महापौर और अध्यक्ष पदों का चयन अप्रत्यक्ष तरीके से होगा। इस पर आज उप मंत्रिमंडलीय समिति फैसला लेगी लेकिन उसके पहले महापौर और अध्यक्ष बनने की चाह रखने वाले नेता सेफ पार्षद सीट ढूंढने की कवायद में जुट गये हैं। हालांकि महापौर बनने की चाह रखने वाले सभी नेताओं का समीकरण बिगड़ गया है। यदि नई आरक्षण व्यवस्था लागू होती है तो कई महापौर के दावेदारों को अपने कदम पीछे खींचने होंगे।

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