रायपुर। अब तक गाय के गोबर को कण्डे के रूप में ही इस्तेमाल करती आई गांव की महिलाओं को रोजगार का नया अवसर मिल गया है। राज्य शासन द्वारा गांव-गांव में गोठान बनाने की पहल ने उन्हें रोजगार से जोड़ दिया है। गोठान से एक साथ निकलने वाला गोबर न केवल उपयोगी हो गया है बल्कि अनेक महिलाओं के खाली हाथों को काम देने के साथ उन्हें आमदनी भी देने लगा हैै।

गोठान में गोबर से तैयार जैविक खाद 10 रूपये प्रति किलो बिक रहा है। रायपुर जिले के बनचरौदा गोठान में तो ग्राम की महिलाओं ने महज दो माह के भीतर एक हजार किलो खाद बेच डाली है। केचुआ से तैयार इस जैविक खाद की उपयोगिता को जानने-समझने के पश्चात किसान और नागरिक इसे लेने पहुुंच रहे है।

10 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट बेचने के बाद 20 क्विंटल खाद की मांग

10 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट बेचने के बाद 20 क्विंटल खाद की फिर से मांग आई हैं। जैविक खाद की मांग बढ़ने से इस कार्य में जुड़ी स्व-सहायता समूह की महिलाओं में खुशी का माहौल है। अब वे इस बंफर डिमांड पूरा करने के लिए गोठान में जुटी हुई है। शुरूआत में खाद निर्माण में अटपटा महसूस कर रही महिलाओं को लगता था कि इसे कौन खरीदेगा। कहीं ये घाटे का सौदा तो साबित नहीं हो जाएगा, लेकिन अब जब डिमांड तो उन्हें अधिक खाद बनाने जुटना पड़ा हैं।

घर की जिम्मेदारी के साथ गोठान में भी करती है काम

धनलक्ष्मी स्व-सहायता समूह में 10 सदस्य है। महिला होने की वजह से घर के कामों को पूरा करने की इन पर जिम्मेदारी भी है। ये सभी बारी-बारी से अपने घर का काम खत्म कर गांव के गोठान में अपना समय देती है। समूह की अध्यक्ष श्रीमती इंद्राणी साहू है। गोठान में सुबह 7 से 2 बजे तक सफाई कर गोबर को इक्कठा कर पास बने वर्मी बेड में डाल दिया जाता है। केचुआं से तैयार वर्मी कंपोस्ट को छानकर पैकेजिंक कर बेचने के लिए तैयार किया जाता है। यह जैविक खाद हर प्रकार की फसलों के लिए उपयोगी है।

गौमूत्र से तैयार औषधि की भी है डिमांड

समूह की महिलाओं द्वारा गोठान के माध्यम से प्राप्त गौमूत्र से अलग-अलग औषधी तैयार कर और बेचकर आर्थिक लाभ कमाया जा रहा हैै। धान की फसलों को कीट से बचाने गौ-मूत्र मिलाकर बेल पत्ती अर्कपेट में कीड़ा मारने वाली दवा निमास़्त्र धान के पौधों में तना छेदक से बचाने, ब्रम्हास्त्र, अग्नास्त्र, दशपर्णी, अर्कबेल पत्ती, नीम पत्ती, यूरिया पोटाश आदि से नाडेप खाद का विक्रय किया जा रहा है।

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