नई दिल्ली। चाहे बात शिक्षा की हो, सामाजिक स्वीकृति हो या फिर अधिकार पाना समाज के थर्ड जेंडर को

हमेशा ही समाज में अपनी जगह बनाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। कुछ ऐसी ही कहानी है

तमिलनाडु की ट्रांसजेंडर रक्षिका राज की। एक न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक काफी मशक्कत के बाद

आख़िरकार रक्षिका राज को पंजीकृत नर्स के रूप में रजिस्टर्ड कर लिया गया है। हालांकि इससे पहले इस

वजह से करीब एक साल तक उन्हें नौकरी नहीं मिली।

रजिस्ट्रेशन के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा

रक्षिका कहती है कि मुझे अपने रजिस्ट्रेशन के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा क्योंकि, रजिस्ट्रेशन करवाते वक्त उसमें

ट्रांसजेंडर श्रेणी ही नहीं थी। इसके बाद उन्होंने कोर्ट में याचिका दी और अपने हक के लिए आवाज उठाई। रक्षिका ने

कहा कि इसमें संघर्ष होगा लेकिन हमें उठना होगा और खुद से ही चमकना होगा। रक्षिका राज तमिलनाडु की पद्मश्री

कॉलेज ऑफ नर्सिंग की नर्स के रूप में स्नातक होने वाली पहली ट्रांसजेंडर महिला हैं। उन्होंने नर्सिंग में बीएससी की

डिग्री हासिल की उन्हें तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने स्नातक की डिग्री दी थी। उनका जन्म तमिलनाडु

के कांचीपुरम जिले के वालजाहबाद में हुआ था और जन्म के समय उनका नाम राज कुमार था।

पुरुष उम्मीदवार के तौर पर लेना पड़ा था प्रवेश

रक्षिका राज को राज्य के चिकित्सा विश्वविद्यालय में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के प्रवेश का प्रावधान नहीं होने के कारण कॉलेज में

एक पुरुष उम्मीदवार के रूप में दाखिला लेना पड़ा था। दाखिला लेने के लिए उन्हें अपने सारे डॉक्यूमेंट बदलने पड़े।

हालांकि उनकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है अभी उनके परिवार द्वारा भी उनको स्वीकार करना बाकी है।

परिवारवालों को बताया तो उन्होंने मानसिक रूप से बीमार समझा

खबरों के अनुसार रक्षिता ने बताया कि जब उन्होंने इस बारे में अपने परिवार वालों को बताया तो सबसे पहले तो उन्होंने

इसे मानसिक बीमारी के तौर पर इसे लिया। उन्होंने आगे बताया कि एक नर्स के रूप में सेवा करने के उसके आवेदन

को तमिलनाडु नर्स और मिडवाइव्स काउंसिल ने अस्वीकार कर दिया था, जो केवल नर्सों को पुरुष या महिला के रूप

में पंजीकृत करने की अनुमति देता है।

 

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