टीआरपी डेस्क। पेगासस का नाम पहले भी जासूसी के कई विवादों से जुड़ा है।

माना जाता है कि पत्रकार जमाल खशोगी की सऊदी दूतावास में हुई हत्या के पहले उसकी जासूसी पेगासस के जरिये करवाई गई थी।

आइए जानते हैं भारत में किन लोगों की कराई गई है जासूसी…..

निहालसिंह राठौड़, महाराष्ट्र के नागपुर में एक मानवाधिकार वकील हैं। वे भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में कई आरोपियों के केस लड़ रहे हैं।

बेला भाटिया, मानवाधिकार एक्टिविस्ट हैं और माओवाद से प्रभावित छत्तीसगढ़ के बस्तर में काम करती हैं।

डिग्री प्रसाद चौहान, छत्तीसगढ़ में ही एक मानवाधिकार वकील और एक्टिविस्ट हैं।

आनंद तेलतुंबड़े, प्रोफेसर, लेखक और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता हैं।

भीमा कोरेगांव मामले में ही इन्हे हिरासत में भी लिया गया था लेकिन बाद में रिहा कर दिया गया था।

सिद्धांत सिब्बल, रक्षा और विदेश मामलों के पत्रकार हैं और एक अंग्रेजी न्यूज टीवी चैनल के लिए काम करते हैं।

शालिनी गेरा, बस्तर में काम करने वाली एक मानवाधिकार वकील हैं, और भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी सुधा भारद्वाज की वकील हैं।

रुपाली जाधव, कबीर कला मंच से जुड़ी हैं. यह दलितों और श्रमिकों के अधिकारों की बात रखने वाला सांस्कृतिक मंच है।

शुभ्रांशु चौधुरी, बीबीसी के लिए काम कर चुके एक पत्रकार हैं। वे पिछले कई सालों से छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के बीच काम कर रहे हैं।

सरोज गिरी, दिल्ली विश्विद्यालय में राजनीतिक विज्ञान की सहायक प्रोफेसर हैं।

विवेक सुंदरा, मुंबई में एक पर्यावरणविद और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता हैं।

आशीष गुप्ता, मानदवाधिकार कार्यकर्ता हैं और पीयूडीआर नाम की मानवाधिकार संस्था के साथ काम करते हैं।

अंकित ग्रेवाल, चंडीगढ़ में एक वकील हैं जो अदालत में सुधा भारद्वाज के लिए जिरह कर चुके हैं।
रविंद्रनाथ भल्ला, तेलंगाना हाई कोर्ट में वकील हैं।