इंदिरागांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक दंपती ने तैयार किया फार्मूला

रायपुर। छत्तीसगढ़ के धान उत्पादक ​किसानों की माली हालत सुधारने के लिए सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि

इंदिरागांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक भी दिनरात नई रिसर्च में जुटे हुए हैं।

 

इंदिरागांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की मेहनत से किसान अब धान के साथ खेतों पर बची पराली से

अपनी आमदनी बढ़ा पाएंगे। इससे प्रदूषण में कमी तो आएगी ही किसानों को अतिरिक्त आय भी होने लगेगी।

 

 

बता दें कि रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में संचालित एग्री बिजनेस इंक्यूबेटर में इंदौर के युवा दंपती

प्रदीप पाण्डेय और पूजा पाण्डेय ने पराली से डिस्पोजबल बर्तन तैयार किया है। साथ ही, एग्रो स्टार्टअप के रूप में

किसानों को इसे लघु उद्योग के रूप में स्थापित करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

 

क्या है पराली

बता दें कि फसलीय अवशेष विशेषकर पराली का निस्तारण देश में बड़ी समस्या बनी हुई है। कुछ जगहों पर

किसान इसे जला देते हैं, जो प्रदूषण का बड़ा कारण बन रहा है। प्रदीप पाण्डेय बताते हैं कि ऐसे में हमने

प्लास्टिक से तैयार डिस्पोजेबल को चुनौती मानते हुए पराली से डिस्पोजेबल बर्तन तैयार किया है। यह स्वत:

गल जाएगा और इससे खाद भी बनाई जा सकती है।

 

ऐसे होता है तैयार

प्रदीप ने बताया कि पराली को पानी में डुबो कर एक से दो दिन रखने के बाद उसकी लुग्दी तैयार की जाती है।

लुग्दी से आसानी से डिस्पोजेबल बर्तन तैयार किया जा सकता है। इसके लिए अलग से मशीन की जरूरत नहीं

पड़ती। कागज के डिस्पोजेबल बनाने वाली मशीन से ही यह बन सकता है। इससे कप, गिलास, थाली, प्लेट,

कटोरी भी बनाई गई है। प्रदीप ने बताया कि प्लास्टिक से बने डिस्पोजेबल कप, प्लेट आदि के कारण नालियां

जाम हो जाती थीं, लेकिन पराली से तैयार ये सामान नालियों को साफ करने का काम करेंगे।

 

ये डिस्पोजेबल बर्तन नाली में जाते ही लुग्दी बन जाते हैं और उसमें मौजूद गंदगी को अपने साथ लपेट

लेते हैं। जब उसे बाहर निकालते हैं तो नाली पूरी तरह से साफ हो जाती है। प्रदीप कहते हैं कि अगर

तालाब की सफाई करनी है तो उपयोग किए जा चुके पराली के डिस्पोजेबल बर्तन को उसमें फेंक दें।

12 घंटे के बाद निकालने से तालाब पूरी तरह से साफ हो जाएगा।

 

तैयार हो जाएगी जैविक खाद

पराली के डिस्पोजेबल से खाद भी तैयार की जा सकती है। अगर इसके साथ गोबर को मिला दिया जाए तो 10 से 15 दिन

में खाद बन जाती है।

 

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