टीआरपी न्यूज/रायपुर। भाजपा के पूर्व कददावर नेता वीरेंद्र पांडेय की भाजपा में वापसी की अटकलों से

पार्टी के अंदरखाने में कानाफूसी शुरू हो गई है। 1977 में जगदलपुर से जीतकर विधानसभा में पहुंचे पूर्व

भाजपा विधायक एवं अविभाजित मध्यप्रदेश की सुंदरलाल पटवा सरकार में संसदीय सचिव रहे वीरेंद्र पांडेय

ने तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन​ सिंह से मतभेद की वजह से पार्टी से किनारा कर लिया था।

 

बता दें कि छत्तीसगढ़ की पहली सरकार के मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल के दौरान विधायकों की

खरीद फरोख्त मामले को उजागर करने पर वीरेंद्र पांडेय भाजपा आलाकमान के करीब हो गए थे, बाद

में यहीं वजह उनकी परेशानी बन कर सामने आई। हालांकि मुख्यमंत्री डा रमनसिंह ने बीजेपी सरकार

आने पर उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य वित्त आयोग का अध्यक्ष भी बनाया पर वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर

पाए। बाद में डॉक्टर रमन सिंह से मतभेद बढ़ने उन्होंने पार्टी से किनारा कर लिया।

 

 

बताते चलें कि 15 साल से प्रदेश में काबिज भाजपा सरकार के सत्ता से बेदखली के बाद अब पार्टी को

वीरेंद्र पांडेय जैसे तेजतर्रार नेता की जरूरत महसूस की जा रही है। बताया जा रहा है कि वीरेंद्र पांडे

और डॉक्टर रमन सिंह के बीच उनके बंगले मौल श्री बिहार में 2 घंटे तक अकेले में चर्चा हुई।

 

जिसके बाद उनकी पार्टी में वापसी की अटकलें तेज हो गई हैं। खबर है कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष

गौरीशंकर अग्रवाल के साले डॉक्टर कमलेश अग्रवाल वीरेंद्र पांडे को अपने साथ पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर

रमन सिंह के मौल श्री विहार स्थित बंगले में ले गए थे। जहां एकांत में वीरेंद्र पांडेय डॉक्टर रमन सिंह की

गंभीर चर्चा हुई। इससे कयास लगाया जा रहा है कि अब भाजपा में स्वच्छ छवि के और जुझारू लोगों की

सख्त आवश्यकता है। इसको महसूस करते हुए वीरेंद्र पांडे की भविष्य में भाजपा वापसी हो रही है।

 

फिलहाल इतना तो तय है कि वीरेंद्र पांडेय की वापसी से प्रदेश भाजपा की राजनीति में नई समीकरण बनेंगे।

वहीं हासिए लाए गए अन्य नेताओं की पार्टी में वापसी का रास्ता भी साफ हो जाएगा।

 

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