296 साल बाद आया ऐसा दुर्लभ संयोग

टीआरपी डेस्क। साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण लगा हुआ है और अब भारत में परमग्रास आरंभ हो

चुका है। यह ग्रहण संपूर्ण भारत में देखा जा सकेगा। ग्रहण का आरंभ गुजरात के द्वारिका में हो चुका है।

दक्षिण भारत के कुछ राज्यों केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु में इस ग्रहण के दौराण बनने वाला कंकण भी देखा

जा सकेगा। जबकि संपूर्ण भारत में यह सूर्य ग्रहण खंडग्रास के रूप में नजर आएगा।

 

दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी ने भी एक्सपर्ट के साथ इस दुर्लभ घटना का नजारा देखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने

भी सूर्य ग्रहण का नजारा लिया। उन्होंने चश्मा लगाकर सूर्य ग्रहण देखा, लेकिन बादल होने की वजह से वे

नजारा देख नहीं पाए। उन्होंने चार तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा, कई भारतीयों की तरह, मैं भी सूर्य ग्रहण के

लिए उत्साहित था। दुर्भाग्य से, सूरज बादल में छिप गया था, जिससे मैं देख नहीं सका। मैंने कोझीकोड और

अन्य भागों में ग्रहण की झलक को लाइव स्ट्रीम के जरिए देखा। विशेषज्ञों के साथ बातचीत करके इस विषय

पर अपने ज्ञान को समृद्ध किया।

 

बता दें कि 296 साल बाद इस परमग्रास सूर्य ग्रहण का दुर्लभ संयोग आया है। ज्योतिषाचार्य डॉ शैलेश कुमार

मोदनवाल ने बताया कि ऐसा दुर्लभ सूर्यग्रहण 296 साल पहले सात जनवरी 1723 को हुआ था। उसके बाद

ग्रह-नक्षत्रों की वैसी ही स्थिति 26 दिसंबर को रहेगी। उन्होंने कहा कि पौष कृष्ण अमावस्या 26 दिसम्बर गुरुवार

को खंडग्रास सूर्यग्रहण लग रहा है। काशी समय के तहत ग्रहण का स्पर्श सुबह में आठ बजकर 21 मिनट,

ग्रहण का मध्य सुबह नौ बजकर 40 मिनट और ग्रहण का मोक्ष सुबह 11 बजकर 14 मिनट पर होगा। इस तरह

ग्रहण की कुल अवधि दो घंटे 53 मिनट होगी। ग्रहण का सूतक 12 घंटे पूर्व यानि बुधवार को रात आठ

बजकर 21 बजे से लग जाएगा ।

 

धनु राशि में छह ग्रह एक साथ :

वृद्धि योग और मूल नक्षत्र में हो रहे इस सूर्य ग्रहण के दौरान गुरुवार और अमावस्या का संयोग बन रहा है।

वहीं, धनु राशि में छह ग्रह एक साथ हैं। यह ग्रहण मूल नक्षत्र एवं धनु राशि में लग रहा है। इसलिए मूल नक्षत्र

के जातक को इस ग्रहण को नहीं देखना चाहिए। ग्रहण काल में भगवान सूर्य एवं विष्णु के मंत्रों का जाप,

भगवत नाम संकीर्तन विशेष लाभदाई है।

ग्रहण के दौरान बरतें सावधानियां :

तीर्थ स्नान, हवन तथा ध्यानादि शुभ काम इस समय में किए जाने पर शुभ तथा कल्याणकारी सिद्ध होते हैं।

उन्होंने बताया कि सूतक व ग्रहण के समय भगवान की मूर्ति को स्पर्श करना निषिद्ध माना गया है।

खाना-पीना, सोना, नाखून काटना, भोजन बनाना, तेल लगाना आदि कार्य भी इस समय में वर्जित है। सूतक

काल में बच्चे, बूढ़े, गभार्वस्था स्त्री आदि को उचित भोजन लेने में कोई परहेज नहीं है। सूतक आरंभ होने

से पहले ही अचार, मुरब्बा, दूध, दही अथवा अन्य चीजों में कुशा तृण या तुलसी का पत्ता डाल देना चाहिए।

उन्होंने बताया कि यह सूर्य ग्रहण तुला, कुंभ व मीन राशियों के लिए शुभ फलदाई है।

सूर्य ग्रहण का समय और सूतक काल :

25 दिसंबर की रात 8 बजे से सूर्य ग्रहण का सूतक लग चुका है। सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से देखना खतरनाक

माना जाता है, क्योंकि इससे आंखों की रोशनी प्रभावित हो सकती है। जिसे ग्रहण के समय से आप हमारे साथ

यहां देख सकते हैं। सूर्य ग्रहण के जिस खास नजारे का सभी को इंतजार है वह अब दिख चुका है।

 

 

दुबई में सूर्य अब कंकण रूप में नजर आ रहे हैं। अबू धाबी में रिंग ऑफ फायर का नजारा। चारों तरफ से सूर्य

सोने के कंगन के रूप में नजर आ रहे हैं।

 

 

ढाका में सूर्य ग्रहण का नजारा। आधा सूर्य चांद से ढक चुका है।

 

बैंकॉक में बादलों के बीच सूर्य ग्रहण का नजारा देखिए।

भारत के अलवा यह सूर्य ग्रहण श्रीलंका और अरब देशों में भी दिख रहा है।

यह तस्वीर है गुजरात की जहां सूर्य ग्रहण आरंभ हो चुका है। केरल से यह तस्वीर है सूर्य ग्रहण की

यह तस्वीर है ओडिशा से जहां सूर्य ग्रहण आरंभ हो चुका है और आसमान नीला नजर आ रहा है।

तमिनाडु में सूर्य को लगा ग्रहण, कुछ ऐसा दिख रहा है सूर्य।

अहमदाबाद में भी सूर्य को लग गया है ग्रहण। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य निगल रहा है केतु।

श्रीलंका में सूर्य ग्रहण का नजारा देखिए। आधा सूर्य छुप चुका है।

 

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