मुंबई (ए)। सरकार ने माइकल देबब्रत पात्रा को 3 साल के लिए आरबीआई का डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया है। पात्रा अभी आरबीआई के मॉनेटरी पॉलिसी डिपार्टमेंट में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं। वे मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) के सदस्य भी हैं। 23 जुलाई 2019 को विरल आचार्य के इस्तीफे के बाद डिप्टी गवर्नर का एक पद खाली था। पात्रा को मॉनेटरी पॉलिसी डिपार्टमेंट के इन्चार्ज की जिम्मेदारी मिल सकती है।

विरल आचार्य भी इस डिपार्टमेंट समेत कई अन्य विभागों के इन्चार्ज थे। पात्रा की नियुक्ति ऐसे समय हुई है जब तिमाही जीडीपी ग्रोथ 6 साल में सबसे कम और थोक महंगाई दर साढ़े पांच में सबसे अधिक पहुंच गई है। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के साथ पात्रा को इन चुनौतियों से निपटना होगा।

आरबीआई के चौथे डिप्टी गवर्नर होंगे पात्रा

पात्रा आरबीआई के चौथे डिप्टी गवर्नर होंगे। बाकी तीन- एस एन विश्वनाथन, बी पी कानूनगो और एम के जैन हैं। विरल आचार्य का विकल्प ढूंढऩे के लिए वित्त मंत्रालय के पैनल ने इंटरव्यू किए थे। इस पैनल में बैंकिंग एवं वित्त सचिव राजीव कुमार भी शामिल थे। पात्रा के नाम पर आखिरी मंजूरी प्रधानमंत्री कार्यालय ने दी।

पात्रा आरबीआई के उन चुनिंदा अंदरुनी लोगों में शामिल हैं जिन्हें डिप्टी गवर्नर के पद के लिए चुना गया। आम तौर पर किसी अर्थशास्त्री को इस पद पर चुना जाता है। 2019 में एमपीसी की तीन बैठकों में पात्रा ने महंगाई दर बढऩे की चिंता को दरकिनार कर ग्रोथ को सहारा देने के लिए ब्याज दर घटाने का समर्थन किया था।

जून की बैठक में उन्होंने अर्थव्यवस्था के लिए वित्तीय मदद की जरूरत भी बताई थी। जीडीपी ग्रोथ में गिरावट को देखते हुए आरबीआई ने पिछले साल लगातार 5 बार में रेपो रेट में कुल 1.35′ कटौती की थी। यह सिलसिला दिसंबर में थमा। इस बैठक में एमपीसी के सभी सदस्यों ने ब्याज दरें स्थिर रखने के पक्ष में वोट दिया था।

 

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