नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी की कमान पूर्णरूप से जगत प्रकाश नड्डा को सौंपी जा रही है। जेपी मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के रहने वाले ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखने वाले जेपी नड्डा का जन्म बिहार की राजधानी पटना में 2 दिसंबर 1960 को हुआ था।

कम उम्र में हासिल की लोकप्रियता

जेपी नड्डा 16 साल की उम्र में जेपी आंदोलन से जुड़ गए थे। इसके बाद सीधे छात्र राजनीति से जुड़ गए। 1982 में उन्हें उनकी पैतृक जमीन हिमाचल में विद्यार्थी परिषद का प्रचारक बनाकर भेजा गया। वहां छात्रों के बीच नड्डा ने ऐसी लोकप्रियता हासिल कर ली थी कि उनके नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार एबीवीपी ने जीत हासिल की।

1989 में जेपी नड्डा ABVP के राष्ट्रीय महामंत्री बने। 1991 में बीजेपी की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने। 1993 में वे हिमाचल प्रदेश से विधायक चुने गए और 1994 से लेकर 1998 तक राज्य विधानसभा में पार्टी के नेता रहे।

1998 में ही उन्हें स्वास्थ्य और संसदीय मामलों का मंत्री बनाया गया। 2007 में उन्होंने एक बार फिर जीत हासिल की। इस बार उन्हें वन पर्यावरण मंत्री बनाया गया।

2010 में उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय महामंत्री बनाया गया. 2012 में नड्डा का करियर ग्राफ एक बार फिर चढ़ा और वे राज्यसभा में आ गए। 2014 में उन्हें बीजेपी संसदीय समिति का सचिव नियुक्त किया गया। 2014 में कैबिनेट पुनर्गठन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनाया।

उत्तर प्रदेश में दिलाई महत्तवपूर्ण जीत

अपने राजनीतिक करियर में जेपी नड्डा जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, केरल, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के प्रभारी और चुनाव प्रभारी रहे। उन्हें बीजेपी की निर्णय लेने वाली सबसे बड़ी संस्था बीजेपी संसदीय बोर्ड का सदस्य बनाया गया।

यही नहीं, वे बीजेपी के केंद्रीय इलेक्शन कमेटी के सदस्य भी बने। अमित शाह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में नड्डा को यूपी का जिम्मा सौंपा यहां पर उन्होंने गुजरात बीजेपी के नेता गोवर्धन झड़पिया के साथ काम किया और पार्टी को 50 फीसदी से ज्यादा वोट और 64 सीटें दिलाईं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ नड्डा के नजदीकी रिश्ते रहे हैं। मोदी जब हिमाचल के प्रभारी हुआ करते थे तब से दोनों के बीच अच्छे समीकरण रहे हैं। दोनों अशोक रोड स्थित बीजेपी मुख्यालय में बने आउट हाउस में रहते थे। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय भी संभाला।

नड्डा सबसे शक्तिशाली दल के शीर्ष पर पहुंच गए हैं अब उनके लिए पहली सबसे बड़ी चुनौती बिहार और पश्चिम बंगाल में है। इसके बाद असम सहित कई राज्यों के चुनाव होने हैं।

क्या है जेपी आंदोलन

आज से ठीक 42 साल पहले 18 मार्च 1974 को जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में पटना में छात्र आंदोलन की शुरूआत हुई थी। इस आंदोलन ने केवल बिहार का नहीं बल्कि पूरे देश की राजनीति को बदल दिया था।

करीब एक साल चले इस आंदोलन के चलते ही देश को लोकतंत्र का सबसे काला समय कहे जाने वाले ‘आपातकाल’ का सामना करना पड़ा। आपको याद दिला दें कि देश में 26 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए देश में आपातकाल घोषित कर दिया था।

इस आंदोलन की शुरुआत बिहार को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए गांधीवादी नेता जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में 1974 में हुई थी। लेकिन अंत में इस छात्र आंदोलन ने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि उसने सीधे केन्द्र में तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार को निशाने पर ले लिया।

इतिहास में दर्ज हो चुके इस आंदोलन को आज लोग संपूर्ण क्रांति और जेपी आंदोलन के नाम से भी जानते हैं। इस आंदोलन का असर पूरे देश की राजनीति पर पड़ा और बाद में जनता पार्टी की सरकार का गठन हुआ।

 

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