लंदन। अनिल अंबानी ने चीन के बैंकों के कर्ज से जुड़े विवाद में शुक्रवार को इंग्लैंड हाईकोर्ट में दलील रखी कि उनकी नेटवर्थ जीरो है, वे दिवालिया हैं इसलिए बकाया नहीं चुका सकते। परिवार के लोग भी उनकी मदद नहीं कर पाएंगे। लेकिन, कोर्ट ने अंबानी के वकीलों की दलीलों को खारिज करते हुए 6 हफ्ते में 10 करोड़ डॉलर (714 करोड़ रुपए) जमा करने के आदेश दिए।

चीन के तीन बैंकों- इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना, चाइना डेवलपमेंट बैंक और एग्जिम बैंक ऑफ चाइना ने अंबानी के खिलाफ लंदन की अदालत में केस किया था। इन बैंकों ने अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन (आरकॉम) को 2012 में 70 करोड़ डॉलर (5,000 करोड़ रुपए) का कर्ज दिया था, लेकिन आरकॉम भुगतान नहीं कर पाई। बैंकों का दावा है कि अनिल अंबानी लोन के गारंटर थे।

अंबानी की दलीलों में पारदर्शिता नहीं : जज

अंबानी के वकीलों ने अदालत में कहा कि 2012 में उनके क्लाइंट के निवेश की वैल्यू 700 करोड़ डॉलर (50,000 करोड़ रुपए) थी, लेकिन अब जीरो है। बैंकों के वकील ने इस दावे पर सवाल उठाते हुए अंबानी के खर्चों और लाइफस्टाइल का जिक्र किया। वकील ने अंबानी के पास 11 लग्जरी कारें, एक प्राइवेट जेट, यॉट और दक्षिण मुंबई के सीविंड पेंटहाउस में रेंट-फ्री एक्सेस होने का हवाला दिया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जज डेविड वॉक्समैन ने कहा कि वित्तीय स्थिति का हवाला देकर अंबानी की ओर से बचाव की जो दलीलें रखी गई हैं उनमें पारदर्शिता नहीं दिख रही।

बैंकों ने वकील ने कहा- कैसे मान लें कि अंबानी का परिवार उनकी मदद नहीं कर सकता?

बैंकों के वकील ने यह भी कहा कि कई मौकों पर अनिल अंबानी के परिवार के सदस्य उनकी मदद कर चुके हैं। अंबानी के वकीलों ने कहा कि उनके क्लाइंट को मां, पत्नी और बेटों के एसेट्स और शेयरों का एक्सेस नहीं है। लेकिन, बैंकों के वकील ने सवाल उठाया- क्या यह माना जा सकता है कि अनिल अंबानी की मां, पत्नी और बेटे जरूरत के वक्त उनकी मदद नहीं करेंगे? साथ ही कहा कि अनिल के भाई मुकेश अंबानी एशिया में सबसे अमीर हैं।

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