श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के नेता और पूर्व नौकरशाह शाह फैसल के खिलाफ शनिवार को नागरिक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत केस दर्ज किया गया है। वे जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट के प्रमुख हैं। इससे पहले तीन पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पीएसए के तहत मामला दर्ज हो चुका है।

पिछले साल अगस्त में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से कश्मीर के कई नेताओं को नजरबंदी में रखा गया है। पीएसए के तहत भड़काऊ बयान देने और कानून व्यवस्था बिगाड़ने वालों को बिना ट्रायल के 3 माह हिरासत में रखा जा सकता है।

14 अगस्त को उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट से हिरासत में लिया गया था। तब वह विदेश जाने की फिराक में थे। इसके बाद से उन्हें श्रीनगर में नजरबंदी में रखा गया। इंटेलिजेंस ब्यूरो ने 12 अगस्त को फैसल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया था। फैसल ने कहा था कि वे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के लिए अमेरिका जा रहे थे। जबकि सरकार ने बताया कि वे टूरिस्ट वीजा पर विदेश जा रहे थे, न कि स्टूडेंट वीजा पर।

यूपीएससी 2010 के टॉपर रहे हैं फैसल

शाह फैसल सिविल सर्विसेस परीक्षा (यूपीएससी) 2010 के टॉपर रहे हैं। वे ऐसा करने वाले जम्मू-कश्मीर के पहले व्यक्ति हैं। उन्होंने पिछले साल जम्मू-कश्मीर की राजनीति में आने का ऐलान किया था। वे जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ खुलकर विरोध दर्ज करा चुके हैं।

पीएसए में बिना ट्रायल के 3 माह हिरासत का प्रावधान

पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला की सरकार में जम्मू-कश्मीर के टिम्बर तस्करों पर कार्रवाई के लिए नागरिक सुरक्षा कानून (पीएसए) बना था। इसके तहत तनाव फैलाने, जनता को भड़काने और कानून व्यवस्था बिगाड़ने जैसी गतिविधियों में शामिल लोगों को बिना ट्रायल के 3 माह के लिए हिरासत में रखने का प्रावधान है। जरूरत पड़ने पर इस अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है।

आमतौर पर इसे आतंकियों, अलगाववादियों और पत्थरबाजों की गिरफ्तारी के लिए इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन पहली बार इसके तहत मुख्यधारा के राजनेताओं के खिलाफ कार्रवाई हो रही है।

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