कसाब की कलाई पर कलावा, आईडी में समीर चौधरी नाम, 26/11 को हिंदू आतंकवाद बताना चाहता था लश्कर

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी किताब ‘लेट मी से इट नाउ’ में यह खुलासा किया

मुंबई। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने मुंबई हमले के दोषी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब को एक हिंदू के तौर पर मारना चाहती थी। यह खुलासा मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी किताब ‘लेट मी से इट नाउ’ में किया है।

उनके मुताबिक, कसाब को बेंगलुरु निवासी समीर दिनेश चौधरी का आईडी कार्ड मुहैया कराया गया था और उसकी कलाई में लाल धागा भी बंधा गया था। आईएसआई ने कसाब को मारने के लिए दाऊद इब्राहिम के गैंग को सुपारी दी थी।

राकेश मारिया के मुताबिक, मुंबई हमले की योजना 27 सितंबर 28 को बनाई गई थी। (फाइल)

एक अंग्रेजी वेबसाइट के मुताबिक, मारिया ने लिखा- लश्कर-ए-तैयबा मुंबई हमले को ‘हिंदू आतंकवाद’ के तौर पर प्रोजेक्ट करना चाहता था। लश्कर की योजना थी कि इस हमले से कसाब को बेंगलुरू निवासी समीर चौधरी ठहराया जाए और सभी टीवी चैनलों और समाचार पत्र में इसे हिंदू आतंकी के तौर पर दिखाया जाए। लेकिन, उसकी यह योजना काम नहीं आई।

बाद में जांच से पता चला कि अजमल कसाब पाकिस्तान के फरीदकोट का रहने वाला था।

कसाब मानता था कि भारत में नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं है

मारिया ने लिखा कि कसाब यह मानता था कि भारत में मुस्लिमों को नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं है और मस्जिदों को बंद रखा गया है। मैंने अपने जांच अधिकारी रमेश महाले को गाड़ी से मेट्रो सिनेमा के निकट मस्जिद में ले जाने का आदेश दिया था। जब उसने मस्जिद में नमाज होते देखी तो उसे इस पर विश्वास नहीं हुआ।

उन्होंने बताया कि दरअसल, कसाब लूटपाट के उद्देश्य से लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था। उसकी जिहाद को लेकर कुछ करने की कोई योजना नहीं थी। कसाब और उसका दोस्त मुजफ्फर लाल खान अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए लूटपाट करना चाहते थे। इसीलिए हथियार खरीदने और अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए प्रशिक्षण लेना चाहते थे।”

कसाब मुझे सम्मानपूर्वक ‘जनाब’ कहने लगा था: मारिया

mumbai attack के लिए इमेज नतीजे

कसाब को जिंदा रखना हमारी प्राथमिकता थी। मुंबई के पुलिस अधिकारियों में उसको लेकर गुस्सा और शत्रुता की भावना थी। पुलिस सुरक्षा की दृष्टिकोण से कसाब से जुड़ी किसी भी जानकारी को बाहर नहीं लाना चाहती थी। हम रोज उससे व्यक्तिगत पूछताछ करते थे। उसने मुझे आतंकवादी संगठन से जुड़ी काफी गोपनीय जानकारी भी दी थी।

रोज की पूछताछ से कसाब और मेरे बीच संबंध बेहतर हो गए थे। जल्द ही वह मुझे सम्मान देते हुए ‘जनाब’ कहने लगा था। लश्कर में तीन राउंड तक प्रशिक्षण दिए जाने के बाद कसाब को 1 लाख 25 हजार रुपए मिले और उसे एक हफ्ते के लिए हॉलिडे पैकेज दिया गया। उसने यह रुपए अपनी बहन की शादी के लिए दिए।” मारिया के अनुसार मुंबई हमले की योजना 27 सितंबर 2008 को बनाई गई थी।

21 नवंबर 2012 को कसाब को फांसी दी गई

नवंबर 2008 में लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकी समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंचे और करीब चार दिनों तक 12 जगहों पर गोलीबारी की। इसमें ताज होटल, नरीमन हाउस, छत्रपति शिवाजी समेत कई जगहों को निशाना बनाया गया। इस हमले में 155 बेगुनाह लोगों की मौत हो गई थी जबकि 308 लोग घायल हो गए थे।

सेना ने कार्रवाई में कसाब को छोड़कर सभी को मार गिराया। बाद में कसाब को दोषी पाया गया और 21 नवंबर 2012 को पुणे जेल में फांसी दी गई। वह पहला विदेशी था जिसे भारत में फांसी दी गई।

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