पक्ष में 57 और विपक्ष में 14 मत पड़े

रायपुर। विधानसभा के बजट सत्र में बुधवार को गिलोटिन के जरिए सभी विभागों का बजट पारित हो गया। बजट पारित करने के लिए हुए मतदान में पक्ष में 57 और विपक्ष में 14 मत पड़े। विधानसभा में राज्य के एक लाख करोड़ रुपए के विनियोग और बजट डिमांड को पारित किया गया।

कोरोना संकट के चलते विनियोग और विभागों के बजट डिमांड पर कोई चर्चा नहीं हुई। इसे गिलोटिन के जरिए पास किया गया। गिलोटिन का मतलब यह होता है कि बिना चर्चा के बजट पारित किया जाता है। बजट पारित होने के बाद विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चतकाल के लिए स्थगित कर दी गई।

विधानसभा शुरू होते ही कोरोना के कारण प्रश्नकाल भी नहीं हुआ। कार्यमंत्रणा समिति की बैठक की बाद विधानसभा की कार्रवाई चालू हुई। सबसे पहले सुकमा के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे ने गिलोटिन के जरिए बजट पास करने का प्रस्ताव रखा और सदन ने इसे पास कर दिया।

कोरोना के कारण आज पत्रकारों को हाउस के भीतर जाने की अनुमति नहीं दी गई। इसी तरह विधानसभा के आधे से भी कम अधिकारियों और कर्मचारियों को बुलाया गया है।

क्या होता है गिलोटिन?

सरकार के पास डेढ़ दर्जन से अधिक मंत्रालय है। बजट में सभी के लिए अनुदान होता है। लेकिन सत्र की सीमित अवधि में सभी पर चर्चा करा पाना संभव नहीं हो पाता है। ऐसे में जिन मांगों पर चर्चा नहीं हो पाती है उसे बिना चर्चा के ही मतदान कराकर पास कर दिया जाता है।

इसी प्रक्रिया को गिलोटिन कहते हैं। एक लाइन में कहें तो बजट सत्र में मंत्रालयों की अनुदान मांगों को बिना चर्चा पारित कराने की प्रक्रिया को ‘गिलोटिन’ कहा जाता है। एक सामान्य प्रक्रिया में मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर चर्चा होती है।

सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों के सदस्य अपनी राय रखते हैं। इसके बाद संशोधन की जरूरत होती है तो संशोधन के साथ अन्यथा इसके बिना ही सदन इसे पास कर देता है।

फ्रांस से आया है ‘गिलोटिन’  शब्द

‘गिलोटिन’ एक फ्रांसिसी शब्द है। 17वीं शताब्दी में फ्रांस की राज्य क्रांति के समय इस शब्द का उपयोग शुरू हुआ। दरअसल फ्रांस के राजा वहां के अपराधियों को बहुत ही दर्दनाक तरीके से मौत की सजा दिया करते थे। उस समय राज्य क्रांति के समय भी कई अधिकारियों व संभ्रात परिवार के लोगों को भी राजद्रोह के अपराध में मौत की सजा सुनाई गई थी।

ऐसे में वहां के संभ्रात परिवार के एक रईस जोसेफ इग्नास गुइलोटिन ने फ्रांस के राजा को सुझाव दिया कि अपराधियों पर थोड़ा मानवता दिखाते हुए उनको ऐसी मौत की सजा दी जाए, जिससे उनको दर्द का अहसास न हो, तब उनके सुझाव पर अमल करते हुए बेहद वजनी धारदार हथियार से एक ही झटके में अपराधी के सर को धड़ से अलग कर दिया जाता था, जिसे गुइलोटिन के नाम पर ‘गिलोटिन’ कहा जाता था।

इसी गिलोटिन शब्द का इस्तेमाल आगे चलकर सरकार द्वारा बिना बहस के बजट को पारित करने के लिए किया जाने लगा। फ्रांस के बाद ब्रिटिश पार्लियामेंट में ऐसा ही उपयोग किया जाने लगा। फिर दुनिया भर में सरकार के लिए बजट पारित करने में यह ब्रम्हास्त्र का काम करने लगा।

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