टीआरपी न्यूज डेस्क। क्या पैंगोलिन्स और चमगादड़ हैं कोरोना के जन्मदाता हैं। इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि यह वायरस चमगादड़ से मनुष्य में आया है। कुछ समय बाद यह बात तो साबित हो गई कि सार्स कोरोना वायरस-2 का जीनोम काफी हद तक चमगादड़ में पाए जानेवाले कोरोना वायरस से मिलता है। लेकिन यह 100 प्रतिशत वैसा नहीं है।

क्या होता है कायमेरा

कायमेरा और कायमेर उस वायरस को कहा जाता है जो दो वायरसों से मिलकर विकसित हुआ तीसरा वायरस होता है। कायमेरा में दोनों प्राइमरी वायरस के गुण होते हैं लेकिन यह पूरी तरह किसी एक से मैच नहीं करता है। यही बात Corona Virus पर भी लागू हो रही है।

कोरोना से जुड़ी संभावना

ऐसा हो सकता है कि दो अलग-अलग वायरस, जिनसे मिलकर कोरोना डिवेलप हुआ है, उन दोनों ने एक ही वक्त में किसी एक जीव को इंफेक्ट किया हो। फिर दोनों वायरसों ने कंबाइन करके एक नया वायरस बना लिया और इस तीसरे वायरस यानी कायमेरा में नई और अलग प्रजाति के जीवों को इंफेक्ट करने की क्षमता विकसित हो गई।

इन दो का मैच हो सकता है कोरोना

जबसे कोरोना वायरस का आउटब्रेक हुआ है। तबसे चमगादड़ों और पैंगोलिन्स में कई नए तरह के वायरसों की पहचान की गई है। इस दौरान यह पाया गया कि नोवल कोरोना वायरस का जीनोम 96 प्रतिशतउस कोरोना वायरस से मेल खाता है जो चमगादड़ों के अंदर पाया जाता है।

पैंगोलिन्स के जीनोम से 99% मिलता है कोरोना

इससे पता लगता है कि चमगादड़ कोरोना वायरस के रिजरवॉयर हो सकते हैं। यानी चमगादड़ों में यह वायरस लंबे समय तक संचित रह सकता है। जबकि वर्तमान में जिस कोरोना वायरस से दुनिया पीड़ित है, उसका जीनोम पैंगोलिन्स में पाए जानेवाले कोरोना वायरस के जीनोम से 99 प्रतिशत मेल खाता है।

ऐसे बना हो सकता है सार्स कोरोना वायरस-2

इससे विशेषज्ञों ने यह अनुमान लगाया है कि सार्स कोरोना वायरस-2, चमगादड़ और पैंगोलिन्स दोनों में पाए जानेवाले वायरस से मिलकर तैयार हुआ एक तीसरा वायरस हो सकता है। इन दोनों में पाए जानेवाले वायरसों ने किसी अन्य जंतु को एक साथ संक्रमित किया हो और अपने इस तीसरे रूप को विकसित किया हो। हालांकि अभी तक उस तीसरे जंतु की पहचान नहीं हो पाई है। लेकिन इस दिशा में एक्सपर्ट बहुत तेजी से काम कर रहे हैं। जबकि यह बात पूरी तरह साफ है कि यह वायरस किसी एनिमल में ही पनपा (Originate) हुआ है लेकिन यह इंसानों में संक्रमण फैलाने में बहुत अधिक प्रभावी है।

कोरोना की स्पाइकी सेल्स

कोरोना के काफी सारे लक्षण हैं, जो इसे एक बड़ी महामारी के रूप में फैलाने में मददगार हैं। जैसे कि कोरोना वायरस की ऊपरी सतह पर चारों तरफ स्पाइकी प्रोटीन्स का होना, जो इस वायरस को शरीर की कोशिकाओं के अंदर प्रवेश करने में मदद करते हैं। इन स्पाइकी सेल्स के जरिए यह शरीर में पहुंचने के बाद आसानी से ऑर्गन सेल्स से खुद को अटैच कर लेता है।

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