टीआरपी न्यूज। कोरोना वायरस को जड़ से खत्म करने के लिए लगातार नए—नए शोध किए जा रहे हैं। पहले मलेरिया के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन के उपयोग की बात सामने आ रही थी।

वहीं अब वैज्ञानिकों ने कोरोना के खात्मे के लिए जुएं मारने की दवा को सहारा बनाया है। इसके लिए अमेरिका में इसका क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो चुका है। इससे पहले बगदाद यूनिवर्सिटी ने भी 5 मई को इसका क्लीनिकल ट्रायल किया था।

प्रयोगशाला में प्रयोग सफल

जुएं मारने वाली इस दवा का नाम है आइवरमेक्टिन। वैज्ञानिकों ने दावा किया कि प्रयोगशाला में इसका प्रयोग सफल पाया गया है। उनका मानना है कि इससे कोरोना के इलाज में मदद मिलेगी। इस दवा के साथ एजिथ्रोमाइसिन, कैमोस्टेट मीसाइलेट का भी ट्रायल किया जाएगा। बाद में इन सभी दवाओं का अलग-अलग और कॉम्बिनेशन के रूप में ट्रायल किया जाएगा।

जुएं मारने वाली इस दवा के ट्रायल की जिम्मेदारी अमेरिका के केंटकी यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन की साइंटिस्ट डॉ. सुसैन ऑर्नाल्ड पर है। उनका कहना है कि अभी तक कोरोना की कोई पुख्ता दवाई नहीं मिली है। इसलिए हम तीनों दवाओं का कॉम्बिनेशन और अकेल के असर को देखना चाहते हैं।

बता दें कि ऑस्ट्रेलिया में रॉयल मेलबर्न हॉस्पीटल और विक्टोरियन इंफेक्शियस डिसीज रेफरेंस लैबोरेटरी के वैज्ञानिकों ने भी जुएं मारने वाली दवाई पर पिछले महीने एक स्टडी की थी। उनके मुताबिक ये दवाई कोरोना के इलाज में असरदार साबित हो सकती है।

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