नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ तनावपूर्ण माहौल के बीच चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीन सेनाओं के प्रमुखों के साथ मीटिंग की। इस मीटिंग में एलएसी के जमीनी हालात की समीक्षा की गई और आगे रणनीति पर विचार किया गया।
सूत्रों ने बताया कि चार घंटे से ज्यादा वक्त तक चली मीटिंग में रक्षा मंत्री ने चीन की तरफ से सैनिकों की संख्या बढ़ाने पर भारत की प्रतिक्रिया का खाका पेश किया। इस महामंथन के दौरान स्पष्ट कर दिया गया कि संघर्ष विराम के लिए बातचीत तो चलती रहेगी, लेकिन भारतीय सेना वहां अपनी संप्रभुता से बिल्कुल भी समझौता नहीं करते हुए अपनी पकड़ कायम रखेगी। मीटिंग में यह भी फैसला हुआ कि इलाके में सड़क निर्माण का काम चलते रहना चाहिए और भारत अपना सैन्य दल-बल चीन के मुकाबले बढ़ाता रहेगा।
इस वजह से लद्दाख में टांग अड़ा रहा चीन
गलवां घाटी में चीन आक्रामक इसलिए है क्योंकि उसके पास भारत के कई डिफेंस रिलेटेड प्रोजेक्ट्स हैं। धारचुक से श्योक होते हुए दौलत बेग ओल्डी के लिए रोड बनी है। दौलत बेग ओल्डी में एंडवास्ड लैंडिंग ग्राउंड (ALG) है जो दुनिया की सबसे ऊंची एयरस्ट्रिप है। यहां इंडिया C-130 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट उतार सकता है। यानी भारत के लिए यह रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। यह रोड भारत को काराकोरम हाइवे का भी एक्सेस देती है जिस पर चीन को दिक्कत है। रोड 2019 में पूरी हो चुकी है।
गलवां घाटी और पैंगोंग लेक बने फ्लैश पाइंट
लद्दाख में LAC पर दो जगह ऐक्शन पॉइंट हैं। 5 मई को पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग लेक के पास करीब 250 चीनी सैनिक और भारतीय जवान आपस में भिड़ गए थे। इसमें दोनों ओर से करीब 100 सैनिक घायल हुए। झील का उत्तरी किनारा किसी हथेली जैसा है। इसमें 8 हिस्से हैं जिन्हें आर्मी ‘फिंगर्स’ कहती है। भारत के मुताबिक, LAC 8वीं फिंगर से शुरू होती है जबकि चीन कहना है कि दूसरी से। भारत चौथी फिंगर तक कंट्रोल करता है। गलवां में घुसपैठ भारत के लिए नई थी। यहां से चाइनीज क्लेम लाइन गुजरती है। चीन के सैनिक यहीं पर मौजूद हैं।