टीआरपी डेस्क। पाकिस्तानी टिड्डियों का दल अब छत्तीसगढ़ में भी दस्तक देने वाला है। ऐसे में राज्य में पहली बार पाकिस्तानी टिड्डियों के बड़े हमले की आशंका जताई गई है। इसकी शुरुआत कवर्धा जिले में सहसपुर लोहारा ब्लॉक के बिरोड़ा गांव से होने की आशंका है। यहीं से ये टिड्डियां हवा के रूख के मुताबिक प्रदेश में आगे बढ़ेंगी।

पाकिस्तान की सीमा में तामपान बढ़ने से टिड्डियां राजस्थान से मध्यप्रदेश के नीमच, पन्ना, छतरपुर, सतना और महाराष्ट्र के अमरावती जिले में प्रवेश कर चुकी हैं। इन जगहों पर टिड्डियों के दल ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। अब ये दल छत्तीसगढ़ में प्रवेश करने वाला है। इसे देखते हुए लोहारा में डीजे तक की बुकिंग की गई है।

मध्य प्रदेश के छतरपुर पहुंचने पर सोमवार को जिला प्रशासन की ओर से फायर ब्रिगेड के जरिए दवाई का छिड़काव कराया गया। उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक आरएन पांडेय ने बताया कि टिड्डियों के दल की संख्या चार है। इसमें एक दल में करीब एक करोड़ टिड्‌डी रहते हैं।

केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र रायपुर की ओर से जारी की गई सूचना के अनुसार, महाराष्ट्र के अमरावती जिले से होते हुए कवर्धा के सहसपुर लोहारा ब्लॉक में प्रवेश कर सकते हैं। अनुमान के मुताबिक यह दल मंगलवार काे सुबह करीब 7 बजे बिरोड़ा के आसपास पहुंचता, लेकिन हवा के प्रभाव बदलने के कारण अभी तक नहीं पहुंच सका। टिड्डियों का दल प्रवेश करने से पहले जिला प्रशासन द्वारा तैयारी शुरू की जा चुकी है।

फायर ब्रिगेड अलर्ट मोड पर, कीटनाशक दवा का किया गया छिड़काव

कृषि विभाग और जिला प्रशासन ने टिड्डियों के दल से निपटने तैयारी शुरू कर दी है। लोहारा में डीजे भी बुक किया गया है। इसके साथ ही नगर पालिका कवर्धा व नगर पंचायत के फायर बिग्रेड को पहले से अलर्ट रखा गया है। कीटनाशक का भी छिड़काव किया जा रहा है। फसल के नुकसान होने पर किसानों को मुआवजा मिलेगा। इसके लिए सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है। सहसपुर लोहारा ब्लॉक में करीब 4 हजार हेक्टेयर में उद्यानिकी व 2 हजार हेक्टेयर के आसपास गन्ना की फसल है।

एक दिन में 150 किमी का सफर

पहली बार होगा की करीब एक करोड़ से अधिक टिड्‌डी जिले में प्रवेश करने वाले हैं। उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक आरएन पांडेय ने बताया कि टिड्डियों का दल एक दिन में करीब 150 किमी का सफर करता है, लेकिन उनकी दिशा तय नहीं होती। हवा का रुख जिस ओर होता है, उसी तरफ निकल जाते हैं। ये एक ही जगह स्थिर नहीं रहते। ये सुबह 7 से 5 बजे तक सफर करते हैं।
इस दौरान रुकते भी हैं। समस्या यह है कि जहां ये रुकते हैं, वहां अंडे देते हैं। ऐसे में टिड्डियों की संख्या रुके हुए क्षेत्र में बढ़ जाती है। इसे देखते हुए जल्द से जल्द इसे भगाया जाता है। टिडि्डयों को लेकर गूगल मैप में महाराष्ट्र के अमरावती जिले से कबीरधाम जिले तक आने की स्थिति को दर्शाया गया है।

कबीरधाम जिले के बाद आगे का ऐसा होगा सफर

टिड्डियों के दल के आने की केवल संभावना व्यक्त किया जा रही है। इनका कोई विशेष रूट नहीं हाेता है। वर्तमान स्थिति के अनुसार अमरावती जिले से आगे नागपुर की ओर ये निकल चुके हैं। हवा की स्थिति पूर्व दिशा की ओर है, एेसे में कबीधाम जिले में ये आ सकते हैं। वहीं कबीरधाम जिले में आने के बाद हवा की स्थिति उत्तर की ओर हुई तो मुंगेली, बिलासपुर जिले के साथ मध्यप्रदेश के डिंडौरी, शहडोल जिले, दक्षिण की ओर रहीं तो राजनांदगांव जिले, पूर्व की ओर रहीं तो बेमेतरा, दुर्ग, रायपुर जिले और पश्चिम की ओर हवा की स्थिति रही, तो मध्यप्रदेश के बालाघाट व मंडला जिले में प्रवेश कर सकते हैं।

टिड्डी दल के प्रकोप से बचने ये गाइडलाइन

कीट की सतत् निगरानी रखें, यह कीट किसी भी समय खेतों पर आक्रमण कर सकता है। शाम 7 से 9 बजे के मध्य यह दल रात्रिकालीन विश्राम के लिए कहीं भी बैठ सकते हैं, जिसकी पहचान एवं जानकारी के लिए स्थानीय स्तर पर दल बनाकर निगरानी रखें।आक्रमण की जानकारी मिलते ही स्थानीय प्रशासन, कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र को जानकारी दें। जिला प्रशासन द्वारा पहले से लोकेशन में तैयारी की जा चुकी है।

अगर टिड्डी दल का प्रकोप हो गया है तो टोली बनाकर विभिन्‍न तरह के परम्परागत उपाय जैसे ढोल, डीजे बजाकर, थाली, टीन के डिब्बे, ट्रैक्टर का सायलेंसर निकाल कर तेज आवाज करें, स्वयं शोर मचाकर अथवा ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से आवाज कर खेतों से उन्हें भगाया जा सकता है।

अगर शाम के समय टिड्डी दल का प्रकोप हो गया है तो टिड्डी के विश्राम अवस्था सुबह 3 बजे से 7 बजे के बीच कीटनाशी दवांओं का पम्प से छिड़काव करें।


रंत दवा उप्लब्ध न हो तो टिड्डी दल के आक्रमण हो जाने के बाद में ट्रैक्टर चलित (पावर स्प्रेयर) के द्वारा पानी की तेज बौछार से भी भगाया जा सकता है।वर्तमान परिस्थित को देखते हुए किसान हमेशा सतर्क रहे, दवाएं बाजार से लेकर अपने घर पर पहले से ही रख लें, ट्रेक्टर चलित पवार स्प्रेयर में हमेशा पानी भर कर रखें तथा हमेशा सतर्क रहें।