टीआरपी डेस्क। तत्कालीन मध्यप्रदेश के बिलासपुर जिले के पेंड्रा में 29 अप्रैल 1946 को जन्में अजीत प्रमोद कुमार जोगी, एक ऐसी शख्सियत रहे हैं जो अपने आप में मिसाल है। उनसे जुड़ी एक ऐसी ही घटना टीआरपी अपने पाठकों के साथ शेयर कर रहा है। ये खबर रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज ( Raipur Engineering college ) के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष केडी सिंह बताए संस्मरण पर आधारित है जो हम आप तक पहुंचा रहे हैं।


क्या आप जानते हैं शहर के आउटर में जो सरस्वती नगर रेलवे स्टेशन ( Saraswati Nagar Railway Station ) है वो कैसे बना, नहीं ना तो हम आपको बता रहे हैं पूरी घटना। बात उस दौर की है जब अजीत जोगी 1977 से 1981 तक रायपुर के कलेक्टर थे। तब रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज ( Raipur Engineering college ) के छात्रसंघ अध्यक्ष केडी सिंह हुआ करते थे। आपको ये भी बता दें कि आईएएस सलेक्ट होने से पहले अजीत जोगी भोपाल के MACT (MANNIT) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके कुछ दिन Raipur Engineering college में अध्यापन का काम भी किया था। तब से ही रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से उनका जुड़ाव बना हुआ था।


बात 1980 के उस दौर की है जब Raipur Engineering college के अलावा प्रदेश में इंजीनियरिंग कॉलेज बहुत कम संख्या में थे, रायपुर के अलावा आसपास के छात्र अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई यहीं पूरी करते थे। रायपुर शहर की बसाहट भी ज्यादा नहीं थी। और इंजीनियरिंग कॉलेज आउटर में बना हुआ था। तब रायपुर के अलावा दुर्ग भिलाई, राजनांदगांव, भाटापारा जैसे दूरदराज के शहर से आने वाले छात्रों के लिए कॉलेज तक पहुंच पाने का कोई परिवहन साधन उपलब्ध नहीं था। ज्यादातर छात्र ट्रेन के जरिए ही आना जाना करते थे।

ये छात्र इंजीनियरिंग कॉलेज के पास ही रेलवे की जमीन पर एक स्टापेज बनाने की मांग कर रहे थे। लेकिन उनके आंदोलन को कोई गंभीरता से नहीं ले रहा था। छात्रों की मांगों को तत्कालीन रायपुर डीआरएम दुबे ने नहीं मानी तब छात्रों का आंदोलन उग्र हो गया और छात्रों ने बांबे हावड़ा एक्सप्रेस को आउटर पर ही रोक दिया। उस समय रायपुर के एसपी बीपी सिंह हुआ करते थे।


छात्रों के आंदोलन की बात डीआरएम ने कलेक्टर अजीत जोगी तक पहुंचाई तो अजीत जोगी के अंदर छिपा प्राध्यापक और छात्र नेता अपने आप को बाहर आने से रोक नहीं पाया। और जब जिला प्रशासन और रेलवे की मीटिंग शुरू हुई तो जोगी छात्रों की परेशानी को समझ कर उनके साथ ही छात्र बन कर डीआरएम से कहा कि उनकी मांगें जायज हैं आपको इस पर दोबारा विचार करना चाहिए।

जोगी की पहल और छात्रों के लगातार उग्र होते जा रहे हैं आंदोलन के आगे आखिरकार डीआरएम को अपना फैसला बदलना पड़ा और ऐसे अस्तित्व में आया अपना सरस्वती नगर रेलवे स्टेशन ( Saraswati Nagar Railway Station ) । सही मायने में कहा जाए तो सरस्वती नगर रेलवे स्टेशन जोगी की ही देन है जो जिन्होंने कलेक्टर रहते हुए भी इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों के साथ आकर डीआरएम को अपना फैसला बदलने पर मजबूर कर दिया।


स्टेशन के नाम को लेकर भी हुई राजनीति

आपको बता दें रेलवे, इंजीनियरिंग कॉलेज के पास अपनी खाली पड़ी जमीन पर नया स्टापेज बनाने को राजी तो गया मगर तब छत्तीसगढ़ में शुक्ल बंधुओं की तूती बोलती थी। तब के चलन के अनुसार इस स्टेशन का नाम विद्या नगर रेलवे स्टेशन रखने का सुझाव दिया गया। और उस समय छात्रों के इस आंदोलन का पूरा श्रेय तत्कालीन कांग्रेस नेता विदयाचरण शुक्ल को दिए जाने के प्रयास किए जा रहे थे। तब इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र अपने आंदोलन को राजनीतिक रूप दिए जाने के खिलाफ थे। अब बारी कलेक्टर के रूप में अजीत जोगी पर थी। यहां भी कलेक्टर की जगह अजीत जोगी छात्रों के साथ ही खड़े दिखे।

छात्रों का कहना था कि हम यहां पढ़ाई करने आते है। सरस्वती के इस मंदिर में राजनीति का क्या काम…? आखिर इस स्टेशन का नाम विद्या नगर रेलवे स्टेशन से बदल कर सरस्वती नगर रेलवे स्टेशन ( Saraswati Nagar Railway Station ) करना पड़ा। जो आज रायपुर रेलवे मंडल का महत्वपूर्ण स्टेशन बन चुका है। ये घटना आपको यदि रोचक लगे तो इसे और भी लोगों तक शेयर जरूर करें।

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