विश्व साइकिल दिवस (World Bicycle Day 2020) के दिन ही साइकिल बनाने वाली भारतीय कंपनी एटलस साइकिल्स (हरियाणा) लिमिटेड आर्थिक संकट के चलते बंद हो गई। साहिबाबाद औद्योगिक क्षेत्र साइट- 4 में सन 1989 से कंपनी में साइकिल का उत्पादन हो रहा था। कंपनी प्रबंधन की ओर से नोटिस जारी कर आर्थिक संकट के चलते काम बंद करने की जानकारी कर्मचारियों व कई विभागों को दी। कर्मचारियों से कहा गया है कि वह रोजना गेट पर आकर हाजिरी लगाएं, जिससे वह कंपनी में उत्पादन न होने पर भी वेतन के हकदार रहें।

जारी किया ले-ऑफ नोटिस
कंपनी ने कारखाना प्रबंधक के माध्यम से अपने कर्मचारियों के लिए बैठकी (ले-ऑफ) की सूचना दे दी है और इसे गाजियाबाद के उपश्रमायुक्त, संराधन अधिकारी, गाजियाबाद के साथ फैक्ट्री के मुख्य द्वार, नोटिस बोर्ड और कर्मचारी संगठनों के दफ्तर में प्रेषित कर दिया है. इसमें कहा गया है कि कंपनी पिछले कई सालों से भारी आर्थिक संकट से गुजर रही है. कंपनी ने सभी उपलब्ध फंड खर्च कर दिए हैं और स्थिति ये है कि कोई अन्य आय के स्रोत नहीं बचे हैं. यहां तक कि दैनिक खर्चों के लिए भी धन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. सेवायोजक जब तक धन का प्रबंध नहीं कर लेते, तब तक वे कच्चा माल खरीदने के लिए भी असमर्थ हैं. ऐसी स्थिति में सेवायोजक फैक्ट्री चलाने की स्थिति में नहीं हैं. यह स्थिति तब तक बने रहने की आशंका है, जब तक सेवायोजक धन का प्रबंध न कर लें.


सभी कर्मचारी 3 जून से बैठकी (ले-ऑफ) पर घोषित किए जाते हैं. इस दौरान कर्मचारी साप्ताहिक अवकाश छोड़कर रोज फैक्ट्री के गेट पर अपनी हाजिरी लगाएं नहीं तो वे प्रतिकर पाने के अधिकारी नहीं होंगे.

कर्मचारी बोले- अचानक 1000 से ज्यादा लोग बेरोजगार कर दिए
वहीं कंपनी के कर्मचारियों का दूसरा ही कहना है. उन्होंने कहा कि दो दिन से कारखाना खुला है. उन्होंने 1 और 2 जून को कारखाने में काम किया, सफाई व्यवस्था के साथ काम हुआ. आज इन्होने गेट पर अचानक नोटिस लगा दिया और हमसे कहा कि आप हाजिरी लगाओ, अपने-अपने घर जाओ. सैलरी के बारे में भी कहा है कि आधा देंगे या नहीं देंगे, वो बाद की बात है. उन्होंने कहा कि इस कारखाने में करीब 1000 लोग काम करते हैं, ये सभी बेरोजगार हो गए हैं. मान लीजिए उन्होंने 5000 रुपये दिए भी तो उसमें तो हमारा किराया भी नहीं निकलेगा.

प्रोडक्शन की कोई दिक्कत नहीं थी कारखाने में- कर्मचारी
वहीं कारखाने से प्रोडक्शन की बात पर कर्मचारी ने बताया कि लॉकडाउन से पहले डेढ़ लाख से 2 लाख तक साइकिल हमने बेचीं. लॉकडाउन में थोड़ा असर जरूर पड़ा है. प्रोडक्शन में कोई कमी नहीं थी. कर्मचारी ने कहा कि आर्थिक तंगी संभव नहीं है. उन्होंने बताया कि एक साल पहले इनकी मालमपुर में यूनिट थी, उसे करीब एक साल पहले इन्होंने ऐसे ही बंद कर दिया था. दूसरा सोनीपत में सबसे बड़ा प्लांट था, वो भी इन्होंने अभी बंद कर दिया है.

आज विश्व साइकिल दिवस भी है.

आज विश्व साइकिल दिवस (world bicycle day 2020) है. महानगरों में रहनेवाले अधिकतर लोग फिटनेस के लिए साइकिल चलाते हैं और साइकिल को एक्सरसाइज की मशीन के तौर पर देखते हैं. लेकिन साइकिल आज भी छोटे शहरों, कस्बों और गांवों में रहनेवाले लोगों की जीवन रेखा बनी हुई है. कोरोना संकट के इस दौर में 15 वर्षीय ज्योति कुमारी ने अपने बीमार पिता को साइकिल पर बिठा कर दिल्ली से दरभंगा की दूरी तय की और साहस की एक मिसाल बन कर दुनिया के सामने हैं. उत्तर भारत के कस्बों में लड़कियों ने जब साइकिल से स्कूल जाना शुरू किया, तो इसे एक बड़े सामाजिक बदलाव के तौर पर देखा गया.