नई दिल्ली। दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में प्रबंधन की लापरवाही से परिवार को तोड़कर रखा दिया है। दरअसल कोरोना संदिग्ध होने पर अस्पताल में भर्ती पति मौत की खबर सुन पत्नी भी गुजर गई और अपने पीछे 3 बच्चों को अनाथ छोड़ गई।

परिवारवाले भागे-भागे मृतक शव लेने दिल्ली के लोकनायक अस्तपाल पहुंचे। वहां मोइनुद्दीन के भाई एजाजुद्दीन यह देख दंग रह गए कि जिसे मोइनुद्दीन का शव कहकर उन्हें सौंपा गया था वह किसी दूसरे शख्स का शव था। यानी अस्पताल से शव की अदला-बदली हो गई थी। एक नाम होने के कारण अस्पताल ने किसी दूसरे परिवार को मोइनुद्दीन का शव सौंप दिया था।


एक ही नाम, चेहरा तक नहीं देख पाए परिजन


मोइनुद्दीन का शव लेने के लिए जब मृतक के भाई एजाजुद्दीन ने दूसरे परिवार से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि मोइनुद्दीन को दफना दिया गया है। अस्पताल की लापरवाही के कारण परिजन मृतक मोइनुद्दीन का चेहरा भी नहीं देख पाए।


एजाजुद्दीन ने बताया,’अस्पताल से 5 जून को हमारे पास शव लेने के लिए कॉल आई थी। जब मैं कागजात जांच रहा था तो मुझे अहसास हुआ कि मृतक के पिता का नाम अमरुद्दीन था और पता और मधु विहार का था जबकि हम जामा मस्जिद के इलाके के पास रहते हैं। मैंने अस्पताल प्रबंधन से मृतक का चेहरा दिखाने को कहा ताकि पहचान की जा सके जब हमने मृतक का चेहरा देखा तो यह कोई दूसरा शख्स था। मेरा भाई दाढ़ी नहीं रखता था। इसके बाद अस्पताल ने कहा कि वह उसके भाई का शव उसे जल्दी सौंपेगा। जब मैं रविवार को फिर से अस्पताल पहुंचा तो पता चला कि दूसरी फैमिली ने शव को दफना दिया था।