इंदौर। कोरोना से हो रही मौतों के ऑडिट के लिए गठित विशेषज्ञों की टीम के साथ बुधवार को संभागायुक्त ने समीक्षा बैठक की थी। संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा ने कहा कि इंदौर संभाग में कोरोना के कारण हो रही मौतों की दर को शून्य पर लाया जाए। उन्होंने मौत का कारण जानना चाहा तो अधिकारियों ने बताया कि संक्रमित होने के बाद देरी से अस्पताल पहुंचने के कारण मरीजों को बचाना मुश्किल हो रहा है। जिनकी मौत हुई है, उनमें सबसे अधिक ऐसे मरीज थे जो किसी बीमारी से पहले से ग्रस्त थे और जिनकी उम्र 50 साल से अधिक थी।

इंदौर में मौतों के बढ़ते आंकड़ों को लेकर हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी चिंता जताई थी और इसे नियंत्रित करने के निर्देश दिए थे। संभागायुक्त ने बैठक में कहा कि कोरोना संक्रमण जिस तरह से फैल रहा है, उसे देखते हुए अस्पतालों में और अधिक बिस्तरों और स्टाफ की जरूरत पड़ सकती है।

कोरोना से मृत प्रत्येक रोगी की अलग-अलग फाइल बनाई जाए: संभागायुक्त

इंदौर में सभी निजी-सरकारी अस्पतालों को मिलाकर लगभग 20 हजार बिस्तरों की व्यवस्था है, लेकिन चिकित्सकों की कमी है। बैठक में एमजीएम मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. ज्योति बिंदल, डॉ. सलिल भार्गव, इंदौर मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. सतीश जोशी उपस्थित थे। हर मृतक की अलग फाइल बने बैठक में संभागायुक्त ने निर्देश दिया कि कोरोना से मृत प्रत्येक रोगी की अलग-अलग फाइल बनाई जाए। कॉन्टैक्ट हिस्ट्री के जरिए पता लगाया जाए कि कोरोना का संक्रमण कहां से हुआ है। उन्होंने कहा कि मरीजों की तुरंत जांच और समुचित इलाज से मृत्यु दर में कमी आएगी। इसे शून्य तक लाना है। इस संबंध में हर हफ्ते समीक्षा बैठक की जाएगी।

बैठक में सामने आईं खास बातें

  • रेमजेसिविर और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा अधिकांश मामलों में कारगर।
  • इस बीमारी में एंटी वायरस ड्रग्स काम आ रही है।
  • इंदौर में वर्तमान में 19 प्रतिशत जनरल बिस्तर व 31 प्रतिशत आइसीयू का ही प्रयोग हो रहा है।

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