श्रीनगर। चीन को सबक सिखाने के लिए भारतीय सेना ने पूरा बंदोबस्त कर लिया है। शक्तिशाली टी-90 टैंक भीष्म हवाई जहाज के जरिए लद्दाख पहुंच गया है। टी-90 टैंक की तैनाती कर भारत ने एक तरह से चीन को कड़ा संदेश दे दिया है कि अगर कुछ हरकत की, तो करारा जवाब मिलेगा। टी-72 टैंकों का एक बेड़ा पहले से लद्दाख में तैनात है। हवा में दुश्मन के जहाजों को मार गिराने में समर्थ अत्याधुनिक एंटी एयरक्राफ्ट गन और सैनिकों का एक विशेष दस्ता भी पहुंच चुका है।

दुनिया के सबसे अचूक टैंक में शुमार है भीष्म

भीष्म को दुनिया के सबसे अचूक टैंक में एक माना जाता है। चीन ने एलएसी के पार अपने मुख्य बेस पर बख्तरबंद गाड़ियों के साथ टी-95 टैंक तैनात किए हैं, जो किसी तरह से भीष्म से बेहतर नहीं हैं। टी-90 टैंक शुरू में रूस से ही बनकर आए थे। बाद में इनका उन्नत रूप तैयार किया गया।

यह है भीष्म की खासियत

-एक मिनट में आठ गोले दागने में समर्थ यह टैंक जैविक व रासायनिक हथियारों से निपट सकता है।

-इसका आ‌र्म्ड प्रोटेक्शन दुनिया में बेहतरीन माना जाता है, जो मिसाइल हमला रोक सकता है।

-एक हजार हार्स पावर इंजन की क्षमता वाला यह टैंक दिन और रात में लड़ सकता है।

-छह किमी की दूरी तक मिसाइल भी लांच कर सकता है।

-दुनिया के सबसे हल्के टैंकों में शुमार, वजन सिर्फ 48 टन।

-यह 72 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ सकता है।

-दमचोक और चुशूल की रेतीली व समतल जमीन पर तेज दौड़ने में सक्षम

18 हजार फुट की ऊंचाई पर भी टैंक संचालित कर चुकी सेना

लद्दाख में समुद्रतल से करीब 12 हजार से 14 हजार फुट की ऊंचाई पर ही टैंक इस्तेमाल किए जाने की संभावना है, लेकिन भारतीय सेना पिछले कुछ वर्षो में युद्धाभ्यास के दौरान 18 हजार फुट की ऊंचाई पर भी टैंक सफलतापूर्वक संचालित कर चुकी हैं। लद्दाख में टैंक रेजिमेंट (जिसे आ‌र्म्ड रेजिमेंट भी कहते हैं) की बढ़ती ताकत और मौजूदगी चीन के हौसले पस्त करने वाली है।