छत्तीसगढ़ के करीब 2.50 लाख छात्र प्राइवेट स्कूलों में ले चुके हैं आरटीई का लाभ


रायपुर। केंद्र प्रवर्तित योजना, शिक्षा का अधिकार के तहत छत्तीसगढ़ के प्राइवेट स्कूलों में बीपीएल वर्ग के छात्रों को प्राइमरी व आठवीं स्तर तक मुफ्त शिक्षा देने का प्रावधान है। इन छात्रों की पढ़ाई के एवज में निजी स्कूलों को दिए जाने वाले फीस के लिए राज्य सरकार को 40 प्रतिशत व केंद्र सरकार को 60 प्रतिशत की राशि का भगुतान करना होता है।

बता दें कि आरटीई के तहत प्रति छात्र प्राइमरी स्तर पर 7000 व आठवीं स्तर पर 11500 रुपए फीस का भगुतान निजी स्कूलों को सरकार द्वारा दिए जाने थे। लेकिन, केंद्र द्वारा अपने हिस्से की फीस की राशि नहीं दिए जाने से निजी स्कूलों के प्रबंधन की कमर टूट चुकी है।

बता दें राज्य सरकार ने अपने हिस्से की रकम का भुगतान कर दिया है। जबकि केंद्र सरकार ने पिछले तीन सालों से इसे लटकाए रखा है।

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2.50 लाख छात्रों को आरटीई के तह​त विभिन्न निजी स्कूलों प्रवेश दिया गया है

छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकेश शाह व सचिव राजीव गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में अब तक 2.50 लाख छात्रों को प्रदेश के विभिन्न निजी स्कूलों में आरटीई के तह​त पढ़ाई के लिए प्रवेश दिया गया है।इन छात्रों की फीस की 60 फीसदी रकम केंद्र सरकार द्वारा दी जानी थी, लेकिन पिछले तीन साल से ये रकम रुकी हुई है। जिससे स्कूलों के संचालन में परेशान हो रही है।

बता दें कि कोरोना संक्रमण की वजह से प्रदेश में अभी स्कूलों के संचालन पर रोक लगी हुई है। स्कूलों को कब तक चालू किया जा सकेगा इस पर भी संशय बना हुआ है। ऐसी हालत में निजी शिक्षा संस्थानों के लिए स्कूलों को चला पाना मुश्किल होता जा रहा है।

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आरटीआई के तहत गरीब बच्चों को उच्च शिक्षित करना पूर्वर्ती सरकारों का लक्ष्य हुआ करता था,आज उनकी राशि रोकना दुखद ओर गरीब के प्रति व्यवहार सोच को दर्शाता है। एक ओर राज्य ने अपनी हिस्सा दे दिया है वहीं केंद्र की राशि का आना उनकी संकुचित सोच और गरीब बच्चों के शिक्षा के प्रति पूर्वाग्रही विचार को प्रकट करता है। केंद्र को तत्काल अपनी हिस्सेदारी देना चाहिए।
-चंद्रशेखर शुक्ला
संगठन महामंत्री, छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस