नई दिल्ली। देश ने रक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में आज एक बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है। सोमवार को हाइपरसोनिक टेक्नॉलजी डेमोनस्ट्रेटर वीइकल (HSTDV) का सफल परीक्षण किया गया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ट्विटर पर इसकी जानकारी देते हुए कहा कि इसमें देश में विकसित सक्रेमजेट प्रपल्शन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है।

एचएसटीडीवी (HSTDV) का भविष्य में न केवल हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने में इस्तेमाल होगा बल्कि इसकी मदद से काफी कम खर्चे में सैटेलाइट लॉन्चिंग की जा सकेगी। HSTDV हाइपरसोनिक और लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों के लिए यान के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।

भारत सोमवार को अमेरिका, रूस और चीन के बाद ऐसा चौथा देश बन गया जिसके पास हाइपरसोनिक टेक्नॉलजी है। ओडिशा के बालासोर स्थित एपीजे अब्दुल कलाम टेस्टिंग रेंज से HSTDV के सफल परीक्षण के बाद भारत ने वह तकनीक हासिल कर ली है।

डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) की ओर से विकसित HSTDV का परीक्षण सुबह 11.03 बजे अग्नि मिसाइल के जरिए किया गया। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, DRDO अगले पांच सालों में स्क्रैमजेट इंजन के इस्तेमाल से हाइपरसोनिकल मिसाइल तैयार कर लेगा, जिनकी स्पीड मैक 6 होगी।

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