टीआरपी डेस्क। अयोध्या एयरपोर्ट का नाम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के नाम पर किया जाएगा। इसके साथ ही एयरपोर्ट भी अब अंतरराष्ट्रीय स्तर का होगा। योगी सरकार ने नाम बदलने और एयरपोर्ट का दायरा बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी है। 

एयरपोर्ट का निर्माण दिसंबर 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य

एयरपोर्ट का निर्माण दिसंबर 2021 तक पूरा करने की योजना है। राम मंदिर बनने के बाद यहां राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि होगी। इसके मद्देनजर राज्य सरकार ने एयरपोर्ट के विस्तार की योजना बनाई है। 

अयोध्या एयरपोर्ट का विकास दो चरणों में करने की योजना

गौरतलब है कि अप्रैल 2017 तक अयोध्या एयरपोर्ट का विकास दो चरणों में करने की योजना बनाई गई थी। इसके लिए हुए टेक्नो-इक्नोमिक सर्वे में पहले चरण में एटीआर-72 विमानों के लिए विकसित किया जाना था। इसमें रन-वे की लंबाई 1680 मीटर रखी जानी थी। दूसरे चरण में ए-321, 200 सीटर विमानों के संचालन के लिए एयरपोर्ट विकसित होना था। 

रन-वे की लंबाई 2300 मीटर प्रस्तावित थी

इसमें रन-वे की लंबाई 2300 मीटर प्रस्तावित थी। बाद में सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस एयरपोर्ट को बोइंग-777 विमानों के योग्य बनाने और उसका नाम बदलने की घोषणा की थी। इसके बाद भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने पिछले साल पांच मई को भौतिक सर्वे करने के बाद संशोधित रिपोर्ट प्रस्तुत किया। 

रन-वे की लंबाई 3,125 मीटर और चौड़ाई 45 मीटर होगी

संशोधित रिपोर्ट के मुताबिक पहले चरण में ए-321 विमानों के संचालन के लिए 463.10 एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी। इसमें रन-वे की लंबाई 3,125 मीटर और चौड़ाई 45 मीटर होगी। दूसरे चरण में बाइंग 777 जैसे बड़े विमानों के संचालन के लिए 122.87 एकड़ जमीन की अतिरिक्त आवश्यकता होगी। इसमें रन-वे की लंबाई 3,750 मीटर और चौड़ाई 45 मीटर होगी। 

कुल 600 एकड़ जमीन की आवश्यकता

वहीं, एयरपोर्ट के संचालन व सुरक्षा से जुड़े कर्मचारियों के आवासीय क्षेत्र के लिए आसपास 15 एकड़ भूमि की जरूरत बताई गई। इस तरह एयरपोर्ट के लिए कुल 600 एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी। 

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