नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने PM Modi in UNGA शनिवार को United Nations General Assembly संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए वैश्विक संस्था के स्वरूप में समय के मुताबिक बदलाव की मांग उठाई तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर जोरदार तरीके से दावेदारी पेश की।

पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र की मौजूदा प्रासंकिता पर सवाल खड़े करते हुए पूछा कि “आज पूरे विश्व समुदाय के सामने एक बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्था का गठन तब की परिस्थितियों में हुआ था, उसका स्वरूप क्या आज भी प्रासंगिक है?” पीएम ने दुनिया पर भारत के प्रभाव को गिनाते हुए पूछा कि आखिर सबसे बड़े लोकतंत्र और दुनिया की 18 फीसदी आबादी वाले देश को कब तक तक इंतजार करना पडेगा?

संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता पर पीएम ने उठाए सवाल

पीएम मोदी ने कहा कि 1945 की दुनिया निश्चित तौर पर आज से बहुत अलग थी। पूरा वैश्विक माहौल, समस्याएं-समाधान सबकुछ भिन्न थे। ऐसे में विश्व कल्याण की भावना के साथ जिस संस्था का गठन हुआ, जिस स्वरूप के साथ हुआ वह भी उसी समय के मुताबिक था, लेकिन आज हम अलग दौर में हैं।

21वीं सदी में हमारे वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताएं और चुनौतियां अलग हैं। पूरे व आज पूरे विश्व समुदाय के सामने एक बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्था का गठन तब की परिस्थितियों में हुआ था, उसका स्वरूप क्या आज भी प्रासंगिक है? सदी बदल जाए और हम ना बदलें तो बदलाव लाने की ताकत भी कमजोर पड़ जाती है।

पीएम मोदी ने कहा कि पीएम ने कहा कि पिछले 8-9 महीने से पूरा विश्व कोरोना वैश्विक महामारी से संघर्ष कर रहा है। इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहां है? एक प्रभावशाली रेस्पांस कहां है? संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में बदलाव, व्यवस्थाओं में बदलाव, स्वरूप में बदलाव, आज समय की मांग है।

यूएन में सुधार वक्त की मांग

पीएम मोदी ने कहा कि भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र के रिफॉर्म को लेकर जो प्रोसेस चल रहा है, उसके पूरा होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या ये प्रोसेस कभी तर्कसंगत अंजाम तक पहुंच पाएगा। आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के नीति निर्माता ढांचे से से अलग रखा जाएगा।

एक ऐसा देश, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, एक ऐसा देश, जहां विश्व की 18 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है, एक ऐसा देश, जहां सैकड़ों भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं, अनेकों पंथ हैं, अनेकों विचारधाराएं हैं, जिस देश ने वर्षों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने और वर्षों की गुलामी, दोनों को जिया है, जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है, उस देश को आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा?

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