टीआरपी डेस्क। छत्तीसगढ़ के कृषि विभाग में भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी पाए गए अफसर पर सारी जिम्मेदारी के सवालों पर कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने जवाब देना मुनासिब नहीं समझा। द रूरल प्रेस (TRP) के संवाददाता ने जब कृषि मंत्री से उनके निवास में पत्रकारों से चर्चा के दौरान सवाल किया कि कृषि विभाग में कई काबिल अफसर होने के बावजूद भी भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अफसर को सारी जिम्मेदारी दे दी गई, ऐसे में विभाग के कामकाज में पारदर्शिता कैसे आएगी? इस सवाल पर कृषि मंत्री का कोई जवाब नहीं आया, बल्कि उन्होंने अगले सवाल की ओर रूख कर दिया।

ऐसे में आमजन की भला कैसे सुनेगा अफसर ?

अब ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि जब विभाग के मंत्री ही कृषि विभाग में अफसरों की मनमानी और कामकाज को लेकर कुछ सुनना और जवाब देना मुनासिब नहीं समझते तो भला आम आदमी या शिकायतकर्ता की फरियाद को अफसर क्यों गंभीरता से लेंगे?

जांच सालों से सिर्फ फाइलों में दब रही

बता दें कि कृषि विभाग में अनियमितताओं का अंबार लगा हुआ है। कई मामलों की जांच सालों से सिर्फ फाइलों में ही चलती आ रही है। विडंबना तो ये है कि जिस अधिकारी को भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया है, उन्हीं के कांधों में सारी जिम्मेदारी दे दी जाती है, ताकि पुरानी परंपरा निरंतर चलती रहे। विभाग में सेटिंग जबकि विभाग में कई ऐसे कई काबिल अफसर भी हैं जो पूरी ईमानदारी से काम करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें भी ईमानदारी से काम करने का अजीबो-गरीब इनाम दे दिया जाता है। परिणामस्वरूप नतीजे ये निकलकर आते हैं कि अन्य अधिकारी-कर्मचारी सारे कारनामे देखकर भी आंख मूंदने को समझदारी समझते हैं।

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