टीआरपी डेस्क। शुक्रवार को शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन है। इस दिन माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है। दुष्टों का नाश करने के लिए आदिशक्ति ने यह रूप धारण किया था। भक्तों के लिए माँ कालरात्रि सदैव शुभ फल देने वाली हैं। इस कारण माँ का नाम ‘शुभंकारी’ भी है। ऐसी मान्यता है कि माँ कालरात्रि की कृपा से भक्त हमेशा भयमुक्त रहता है, उसे अग्नि भय, जल भय, शत्रु भय, रात्रि भय आदि कभी नहीं होता।

माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति देवी कालात्रि को व्यापक रूप से माता देवी – काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृित्यू, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है। रौद्री और धुमोरना देवी कालात्री के अन्य कम प्रसिद्ध नामों में हैं |
ऐसे हुई थी माँ कालरात्रि उत्पन्न
‘जब दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था, तब इससे चिंतित होकर सभी देवता शिवजी के पास गए और उनसे रक्षा की प्रार्थना करने लगे। भगवान शिव ने माता पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा। शिवजी की बात मानकर माता पार्वती ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया। जब माँ दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज को मौत के घाट उतारा, तो उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज दैत्य उत्पन्न हो गए। इसे देख दुर्गा ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया। इसके बाद जब माँ दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का वध किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को माँ कालरात्रि ने जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया। इस तरह मां दुर्गा ने सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया।
माँ कालरात्रि का स्वरूप
कालरात्रि देवी का शरीर रात के अंधकार की तरह काला है। गले में विद्युत की माला और बाल बिखरे हुए हैं। माँ के चार हाथ हैं, जिनमें से एक हाथ में गंडासा और एक हाथ में वज्र है। इसके अलावा, माँ के दो हाथ क्रमश: वरमुद्रा और अभय मुद्रा में हैं। इनका वाहन गर्दभ (गधा) है।
कालरात्रि की पूजा विधि
स्नान आदि से निवृत्त होकर माँ कालरात्रि का स्मरण करें। फिर माता को अक्षत्, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ का नैवेद्य श्रद्धापूर्वक चढ़ाएं। माँ कालरात्रि का प्रिय पुष्प रातरानी है, यह फूल उनको जरूर अर्पित करें। इसके बाद माँ कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें तथा अंत में माँ कालरात्रि की आरती करें।
भक्तों की रक्षा करती हैं माँ कालरात्रि
नवरात्रि के सप्तमी तिथि में माँ कालरात्रि की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माँ कालरात्रि साधक के शत्रुओं का विनाश करने वाली हैं और हर परेशानी से भक्तों की रक्षा करती हैं। यही वजह है, कि तांत्रिक आधी रात में माँ कालरात्रि की विशेष पूजा करते हैं।
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