श्रीनगर। कोरोना काल के दौरान भी हमारे देश की सेना सीमा पर डटे हुए है। सीमा पर पाकिस्तानी गोलाबारी का सामना कर रही सेना पिछले 73 सालों से बुलंद हौंसले के साथ दुश्मन से लड़ रही है।

पैदल सेना या इन्फैंट्री डे ( Infantry Day ) भारतीय सशस्त्र बलों का एक अहम अंग है। देश की सुरक्षा में पैदल सेना का अहम योगदान है। इसके योगदानों और गौरवशाली इतिहास को 27 अक्टूबर का दिन समर्पित किया गया है और हर साल इस दिन पैदल सेना दिवस या इन्फैंट्री डे ( Infantry Day ) मनाते हैं।

इस बार इन्फैंटरी डे पर सेना अपने शहीदों को याद कर उनसे जान की बाजी लगा दुश्मन के मंसूबों को नाकाम बनाने की प्रेरणा लेगी।

ये है Infantry Day से पाकिस्तान का कनेक्शन

जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के हमले को नाकाम बनाने को 27 अक्टूबर 1947 को सेना ने प्रदेश में पहला कदम रखा था। तब से सेना जम्मू कश्मीर में लगातार कुर्बानियां दे रही है। इस समय भी सेना लद्दाख में पाकिस्तान के साथ चीन की साजिशाें को नाकाम बनाने की मुहिम पर है। निष्ठुर मौसम की चुनौतियों के बीच इस समय भारतीय सेना लद्दाख में सियाचिन व चीन से लगते इलाकों में डेरा डाले हुए है।

22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तानी सेना ने कबायलियों के साथ किया था हमला

जम्मू-कश्मीर का देश में विलय होने के ठीक पहले जम्मू कश्मीर पर 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तानी सेना ने कबायलियों के साथ हमला कर दिया था ऐसे में महाराजा की फौज की कमान संभाल रहे ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह ने भारतीय सेना के जम्मू कश्मीर में आने तक दुश्मन को अंतिम सांस तक कश्मीर के उड़ी में रोके रखा था।

ऐसे हालात में 26 अक्टूबर की शाम को जम्मू कश्मीर का देश के साथ विलय होते ही अगले दिन सुबह पांच बजे भारतीय सेना की 1 सिख रेजीमेंट ने जम्मू कश्मीर में कदम रखा था। पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए श्रीनगर एयरपोर्ट पहुंच गई थी। रेजीमेंट की कमान लेफ्टिनेंट कर्नल रंजीत राय कर रहे थे। कश्मीर पर कब्जा करने के लिए आगे बढ़ रहे कबायलियों व पाकिस्तानी सेना पर भारतीय सेना ने दुश्मन पर धावा बोल पासा पलट दिया।

शपथ लेने के साथ ही सेना शहीद जवानों को करेंगी याद

मंगलवार को इन्फैंटरी डे ( Infantry Day ) पर केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर व लद्दाख में सेना कार्यक्रमों के दौरान शहीदी स्मारकों पर उन शहीदों को याद करेगी जिन्होंने देश की खातिर जम्मू कश्मीर व लद्दाख में जान दे दी। सेना की उत्तरी कमान मुख्यालय व इसकी चौदह, पंद्रह व सोलह कोर के अधिकारी व जवान इन्फैंटरी डे पर जान की बाजी लगाकर दुश्मन के मंसूबों को नाकाम बनाने की शपथ भी लेंगे।

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