टीआरपी डेस्क। सालभर की पूर्णिमा में शरद पूर्णिमा ( Sharad Purnima ) का विशेष महत्व है। इस वर्ष 30 अक्टूबर शुक्रवार को आश्विन मास की पूर्णिमा शरद पूर्णिमा ( Sharad Purnima ) है। इस दिन की खास बात यह है कि चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। इसलिए इस दिन शरद पूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा।

माना जाता है समुद्र मंथन के दौरान शरद पूर्णिमा ( Sharad Purnima ) पर ही देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थी। इसलिए इसे लक्ष्मीजी के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है और इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा भी की जाती है। इसे अमृत काल भी कहा जाता है। इस व्रत को आश्विन पूर्णिमा, कोजगारी पूर्णिमा और कौमुदी व्रत के नाम से भी जानते हैं।

इस लिए किया जाता है Sharad Purnima व्रत-

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक साहूकार की दो बेटियां थीं। दोनों पूर्णिमा का व्रत रखती थीं। एक बार बड़ी बेटी ने पूर्णिमा का विधिवत व्रत किया, लेकिन छोटी बेटी ने व्रत छोड़ दिया। जिससे छोटी लड़की के बच्चों की जन्म लेते ही मृत्यु हो जाती थी। एक बार साहूकार की बड़ी बेटी के पुण्य स्पर्श से छोटी लड़की का बालक जीवित हो गया। कहते हैं कि उसी दिन से यह व्रत विधिपूर्वक मनाया जाने लगा।

Sharad Purnima 2020 का शुभ मुहूर्त

30 अक्टूबर की शाम 05:47 मिनट से प्रारंभ होगा और 31 अक्टूबर की रात 08:21 मिनट पर समाप्त हो जाएगा।

भक्तों को फल की प्राप्ति

शरद पूर्णिमा के दिन महालक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां लक्ष्मी भक्तों की सभी परेशानियां दूर करती हैं। शरद पूर्णिमा के दिन खीर का भोग लगाकर आसमान के नीचे रखी जाती है।

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