रायपुर। छ्त्तीसगढ़ से विलुप्त हो रहे राजकीय पशु वनभैंसों की संख्या ( State Animal Forest Buffalo ) बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने कमर कस ली है। वन विभाग के अधिकारियों का दावा है कि आने वाले समय में वनभैंसों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा होगी।

आपको बता दें कि चार मादा वनभैंसों को लाने के लिए छत्तीसगढ़ वन विभाग ( Chhattisgarh Forest Department ) की एक टीम असम के मानस राष्ट्रीय उद्यान ( Manas National Park Assam ) रवाना हो चुकी है। वन विभाग के अधिकारी अरुण पांडेय ने टीआरपी को बताया कि वन भैंसों ( Forest Buffalo ) की संख्या में बढ़ोतरी के लिए संभवतः दुनिया की पहली मादा वनभैंस क्लोन ‘दीपाशा’ के अंडाणुओं का इस्तेमाल भी किया जाएगा। सेरोगेसी तकनीक ( Serogacy Technique ) का उपयोग कर वनभैंसों के कई बच्चों का जन्म एक साथ कराया जा सकता है। साथ ही आईवीएफ व आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन तकनीक ( IVF and Artificial Insemination Techniques ) का भी सहारा लिया जाएगा।

वनभैंसों की संख्या बढ़ाने तीन चरणों में चल रहा काम

वन विभाग ( Chhattisgarh Forest Department ) के अरुण कुमार पांडेय के अनुसार यदि सबकुछ योजना के अनुसार चला तो आने वाले समय में वन भैंसों ( Forest Buffalo ) की संख्या में बढ़त देखने को मिलेगी। वनभैंसों की संख्या वृद्धि के लिए तीन मोर्चों पर काम एक साथ चल रहा है।

  • प्रदेश के नेटिव वनभैंसों की संख्या की नैसर्गिक प्रक्रिया से प्रजनन की प्रक्रिया।
  • असम के मानस नेशनल पार्क से पांच मादा और एक नर सहित छः वनभैंसों को लाकर राज्य के बारनवापारा वाइल्डलाइफ सेंचुरी में उनकी कैप्टिव ब्रीडिंग करवाना।
  • सरोगेसी व आईवीएफ तकनीक का उपयोग कर वनभैंसों की संख्या में वृद्धि करना।

Surrogacy Breeding के लिए इस्तेमाल होगी दीपाशा

गौरतलब है कि मानस से 6 वनभैंसों के लाने की केंद्र सरकार से मिली अनुमति के बाद 2019 में ही होना था लेकिन कोरोना काल के चलते इन्हें लाने में देरी हुई। विभाग द्वारा करनाल स्थित राष्ट्रीय डेरी रिसर्च इंस्टीट्यूट में जनित देश और दुनिया की पहली क्लोन वनभैंस दीपाशा का इस्तेमाल सरोगेसी प्रजनन ( Surrogacy Breeding ) के लिए किया जाएगा। दीपाशा वन विभाग द्वारा गरियाबंद जिले के जंगल में रखी गई वनभैंस ‘आशा’ की क्लोन है। इस प्रक्रिया से वनभैंसों के कई बच्चों का जन्म एक साथ हो सकेगा।

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन से बढ़ेगी संख्या

वनभैंसों में भी सरोगेसी ( Surrogacy ) की इंसानों की तरह सामान्य तकनीक अपनाई जाएगी। वन विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार इस तकनीक के तहत दीपाशा के अंडाणुओं का नर वनभैंसे के सीमेन से इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (टेस्ट ट्यूब बेबी) कराकर भ्रूण को सामान्य भैंसों में इंजेक्ट किया जाएगा। सेरोगेसी तकनीक ( Surrogacy Technique ) के अलावा क्लोन वनभैंस को भी कृत्रिम गर्भाधान ( Artificial Insemination ) कराया जाएगा। पांडेय के अनुसार इसके लिए विभाग सामान्य प्रजाति की भैंसे सेरोगेसी के लिए भी खरीदेगा।

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